अंबा माता मेले में हुआ ऐतिहासिक कवि सम्मेलन कवियों ने एक से बढ़कर एक दी प्रस्तुति

प्रतापगढ़ । कार्यक्रम में ख्यातनाम कवियों ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अलग-अलग क्षेत्र से आए कवियों ने हास्य श्रृंगार वीर रस की एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनाई।
*करीब 2 साल बाद हुए इस आयोजन में लोगों की जमकर भीड़ उमड़ी।*
कार्यक्रम की शुरुआत में ग्राम पंचायत कुलमीपुरा के सरपंच,ग्राम विकास अधिकारी एवं वार्ड पंचों ने काव्य पाठ करने पहुंचे सभी कवियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत जयपुर की कवयित्री मनीषा मन्नु ने सरस्वती वंदना से की, जिसके बाद उन्होंने श्रोताओं को श्रृंगार रस के बेहतरीन मुक्तक सुनाएं। श्रोताओं ने भी तालियां बजाकर मनीषा की रचनाओं को खूब दाद दी। मनीषा के बाद ठेठ मालवी हास्य कवि विनोद 9560 ने मालवी हास्य व्यंग्य के साथ किसानों के दर्द की कविताएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर भारती की वंदना कर चीन और पाकिस्तान पर प्रहार करती रचना सुना कर पोलायकलां के कवि विनोद चन्दद्रवंशी ने श्रोताओं का मन मोह लिया। जिसके बाद श्रृंगार रस की कवियत्री कीर्ति विशेष और चांदमल चंदू की नोकझोंक ने श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। भोपाल से आये कवि मनोहर मसखरा ने मोर्चा संभाला और हास्य व्यंग्य की रचनाओं से भाव विभोर कर दिया कायथा के गीतकार नरेन्द्र नखेत्री ने संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार पर बेहतरीन काव्य पाठ किया। वहीं सीतामऊ के हास्य कवि रजनीश रफूचक्कर तोफाखेड़ा के मनोहर मन्नु, हरिओम हरपल ने पैरोडियों से गुदगुदाया ।कवि सम्मेलन का संचालन कवि विजय विद्रोही रोकड़िया हनुमान ने किया।
कवि रजनीश शर्मा बत्तीबाज सीतामउ ने राजनीतिक दल भलेही अलग अलग हो हमारे,
ओर ज़िन्दा सभी के दिलो में भारत देश रहना चाहिए।
कवि हरिओम हरपल ने अगर इसी तरह फसलों के भाव रहे देश में दर-दर की ठोकरे खाएगा
अब आप ही बताओ की मेरे देश का किसान कैसे जिंदा रह पाएगा ।
मनीषा मन्नु ने अगर छू ले मेरी नज़रे निशाना हो ही जाएगा
मेरी आवाज भर सुन ले दीवाना हो जाएगा।
कीर्ति विशेष ने तू मुझपर मरता है पगले मे भी तुझपर मरती हूँ
सच तो केवल इतना है के कहने से मे डरती हूँ।
कवि विजय विद्रोही ने
देह यदि पाना चाहो,भारती की गोद में तो ,
काम क्रोध लोभ मोह, थोड़ा तो घटाइये ।
स्वर्ग की हो चाह यदि,पापी पेट से जकड़ी,पाप की परत फिर, काया से हटाइये।
पाना चाहो देवलोक,गुरु चरणों मे बेठ राम नाम की चटनी,मन को चटाइये ।
राममय होकर मेरे राम को ही पाना हो तो, श्री राम भक्त हनुमान को पटाइये ।