आदिवासी महा गैर का हुआ रंग तेरस पर जिला स्तरीय आयोजन

प्रतापगढ़। जिले में जल जंगल जमीन के रखवालों का गैर नृत्य अपने आप में एक उर्जावान एवं अदभुत झलकियां लिए रहता है, इनके आदिवासी गैर नृत्य को देखने के लिए शहर सहित जिलेभर के आमजन रहते है उत्सुक क्योंकि होली, धुलेंडी एवं रंग तेरस पर रहता हैं इनका अपना अलग ही आनंद भरा आदिवासी गैर नृत्य।
प्रतापगढ़ जिला आदिवासी बाहुल्य है सभी समुदाय के लोग होली फसलोंउत्सव पर्व को मनाते हैं, होली एवं फसलोंउत्सव पर्व से लगाकर रंग तेरस तक होली की उमंग और मस्ती प्रतापगढ़ जिले में 13 दिनों तक रहती है। रंग-बिरंगे परिधान में आदिवासी संस्कृति से सजे संवरे युवक-युवतियों एवं बुजुर्गों ने सुखाड़िया स्टेडियम में अपनी आदिवासी कला, संस्कृति का प्रदर्शन किया। आदिवासी परिवार द्वारा प्रतापगढ़ जिले के सभी ब्लॉकों में गेर नृत्य का कार्यक्रम आयोजित किया था उसके बाद सभी ब्लॉकों का जिला स्तर पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया था जो आज सफल रहा।
गैर नृत्य के साथ ही महिला एवं पुरुषों ने आदिवासी अंचल में प्रचलित दागढ़ी नृत्य भी किया। पूरे अनुशासन के साथ करने वाले इस प्रदर्शन में किसी भी प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है संस्कृति के साथ ही स्वत: ही सीख जाते हैं। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक मांगीलाल निनामा ने उपस्थित जन समुदाय का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि बढ़ती आधुनिकता एवं शहरीकरण से आदिवासी संस्कृति भी प्रभावित हो रही है, लुप्त होती संस्कृति को बचाने का काम हम कर रहे साथ ही इसके माध्यम से आदिवासी संवैधानिक जन जागरण भी हो रहा है। पूरे जिले के भाई बहनों ने पूरे अनुशासन के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाया। कार्यक्रम को सफल बनाने में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा, भील प्रदेश युवा मोर्चा, भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा की प्रमुखता से भूमिका रही है।