इंदिरा महिला शक्ति उद्यम और उडान योजना ने दी जीवन को नई दिशा

प्रतापगढ़। संवेदनशील मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा विगत चार वर्षो में हर वर्ग की समस्याओं के समाधान और हर क्षेत्र के विकास के लिए छोटे-से लेकर बड़े स्तर तक के प्रभावी निर्णय लेते हुए धरातल पर उसका ठोस कियान्वयन सुनिश्चित किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए ऐसी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनसे महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक संबंल तक प्राप्त हुआ है। प्रतापगढ़ जिले में महिला अधिकारिता विभाग के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही आई. एम. शक्ति उड़ान योजना एवं इन्दिरा महिला शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजना के प्रभावी संचालन से जिले की अनेक महिलाएं न केवल लाभान्वित हुई है वरन् इन योजनाओं के माध्यम से हुए आर्थिक एवं सामाजिक संबंलन से उनमें नया आत्मविश्वास सहज ही देखा जा सकता है।
उडान से आया आत्मविश्वास
महिलाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान करने और स्वास्थ्य के लिए जागरूक करने के तो बहुत प्रयास हो रहें है परंतु पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने महिलाओं को प्रतिमाह सहने करने वाले एक दर्द और उन दिनों से गुजरने वाली कठिन परिस्थितियों के बारे में संवेदनशीलता से ऐसा कार्य किया कि आज हर गरीब महिला और बालिका भी अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुई है और महावारी के दिनों में स्वच्छता रखने और सेनेटरी नेपकिन के बारे में जानने, समझने और उसका उपयोग करने लगी है। यह कहना है जिला प्रतापगढ़ की पंचायत समिति सुहागपुरा उपखण्ड पीपलखूंट निवासी अडतीस वर्षीय प्रेम कुंवर राठौड़ का। प्रेमकुंवर कहती है कि ‘‘हम महिलाएं पहले के समय में महावारी के बारे में किसी से बात करना भी सही नही समझती थी। माहवारी के समय स्वच्छता नही रखने से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी नही होने से अधिकतर महिलाएं अनेक तरह की बीमारियों से जुझती थी परंतु झिझकवश इनका किसी से जिक्र नही करती थी। उस समय सेनेटरी नेपकीन का इतना प्रचलन भी नही था विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में और किसी महिला को मालूम भी हो तब भी अधिकतर आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मंहगें सेनेटरी नेपकिन खरीदना संभव नहीं था। ऐसे में मजबूरी में हमें महावारी के समय साधारण कपड़ों का ही उपयोग करना पड़ता था। इसके अलावा भी कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक पीड़ा से भी गुजरना पड़ता था। जैसे माहवारी के दिनों में कपड़े खराब ना हो ऐसी समस्याओं से बचाव के लिए हमें ना चाहते हुए भी सबसे अलग बैठना होता था। ऐसी छोटी-बड़ी समस्याओं के कारण बड़ी झिझक भी महसूस होती थी और किसी से बात करने में घबराहट होती थी।