किसानों के खेतों में खरीफ मक्का की फसल में बुवाई के साथ ही शुरू हुआ फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है

किसान समय पर नहीं चेते तो बड़ा नुकसान हो सकता है:
प्रतापगढ़। जिले के धरियावद पंचायत समिति के किसानों के खेतों में खरीफ मक्का की फसल में बुवाई के साथ शुरू हुए फॉल आर्मीवर्म के लिए
सहायक कृषि अधिकारी मुकेश चंद्र मीणा व कृषि पर्यवेक्षक जयराज सोनी ने किसान कालू, कपिल, राजू, मीना देवी, रेखा बाई के खेतों पर मक्का की फसल का निरीक्षण किया तो मक्का की फसल में फॉल आर्मीवॉर्म नामक कीट का प्रकोप देखा गया जो कि फसल को नुकसान पहुंचा रहा है।
सहायक कृषि अधिकारी मुकेश चंद्र मीणा ने बताया की यह बहूफसल भक्षी कीट है जो 80 से ज्यादा फसलों को नुकसान पहुंचाता है। इस कीट की मादा मोथ मक्का के पौधों की पत्तियों और तनो पर एक बार में 50 से 200 अंडे देती है यह अंडे 3 से 4 दिन में फूट जाते हैं औऱ 14 से 22 दिन तक लार्वा अवस्था में रहता है लार्वा के सिर पर उल्टे वाई(y) आकार का सफेद निशान दिखाई देता है लार्वा पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाता है जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां व गोल-गोल छिद्र नजर आते हैं। लार्वा बुवाई से लेकर पौधों की हार्वेस्टिंग अवस्था तक नुकसान पहुचता रहता है। इसके द्वारा विसर्जित मल तने व पतियों पर नजर आता है यह लट सुबह से शाम तक सक्रिय रहती है। मुख्य रूप से दोपहर में यह कीट फसल को नुकसान पहुचता है। लार्वा अवस्था पूर्ण हो जाने के बाद प्यूपा अवस्था मे बदल कर कीट भूरे व काले रंग का हो जाता है। यह अवस्था 7 से 14 दिन तक रहती हैं। इसके बाद यह पूर्ण नर व मादा मोथ बनता हैं यह कीट मक्का की फसल में तीन जीवन चक्र में पुरा कर लेता है इस कीट की मादा एक रात में 100 से 150 किलोमीटर दूरी तय करते हुए सक्रमण को दूर-दूर तक फैला सकती है।
फॉल आर्मीवॉर्म के प्रबंधन एव नियंत्रण
सा. कृषि अधिकारी धरियावद
मुकेश चन्द्र मीणा ने किसानों को सलाह दी कि इस कीट का नियंत्रण के लिए बारिक रेत या राख को पोगली में डाले इसके अलावा 50000 ट्राइकोग्रामा अण्डे प्रति एकड़ का उपयोग करे, नर वयस्क कीट को नियंत्रण करने के लिए 15 फेरोमान ट्रेप प्रति एकड़ की दर से लगाये, नीम कीटनाशक-अजारडेक्टिन 1500 पीपीएम का घोल 2.5 लीटर प्रति हेक्टर, इमामेक्टिंन बेन्जोएट 5% एस. जी. @0.4ग्राम/लीटर या
क्लोरेन्ट्रनिलिप्रोल की 0.3 मि.ली./लीटर मेटारिजियम एनिसोपाली 1कि. ग्रा./ एकड़ या 5ग्राम/ली. पानी की दर से घोल बनाकर उपयोग करे।