खिमलाब्लॉक पंचायत में कायदों को ताक पर रख किए कार्य व भुगतान 1
बाजार मूल्य से अधिक दर पर माल खरीदी, मस्टरोल में भी फर्जीवाड़ा

खिमलाब्लॉक पंचायत में कायदों को ताक पर रख किए कार्य व भुगतान
बाजार मूल्य से अधिक दर पर माल खरीदी, मस्टरोल में भी फ र्जीवाड़ा
नीमच। जनपद पंचायत मनासा की खिमलाब्लॉक पंचायत में कायदों को ताक पर रख कर कार्य व भुगतान करने का आरोप ग्राम पंचायत के ही रहवासी लगा रहे है। जिस पर चौथा समय ने पंचायत दर्पण व ई-ग्राम स्वराज पोर्टल से जानकारी जुटाई तो पता चला की वास्तव में भुगतान नियमों को ताक पर रखकर किए गए है, जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि विकास कार्यो में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
गहन जांच किए जाने पर वित्तीय गड़बड़ी के साथ-साथ निर्माण कार्यो की गुणवत्ता की पोल खुलने की पूरी संभावना है। पंचायत सचिव-रोजगार सहायक के रसूख के चलते टेंडर-कोटेशन लिए बिना ही मनमानी संस्थाओं से अधिक किमत पर सामग्री क्रय व सेवाऐं ली गई है। जिनका प्रमाण पोर्टल पर मौजूद है।
पंचायत चुनाव से पहले ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य का काम पंचायत सचिव के पास रहा। तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति के बाद वो काम करवा रहे थे। लेकिन बताया जाता है कि खिमलाब्लॉक पंचायत में कई कार्य व भुगतान नियमों को ताक पर रखकर किए गए है। काम की गुणवत्ता भी निम्म दर्जे की रही। वहीं कार्य एवं सेवाओं मे भुगतान निजी हित को पूरा करने व हितेषीयों को लाभ पहुंचाने की नियत से किए गए है। अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि उपयंत्री के मौके पर आए बगैर ही मूल्यांकन हो गया है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार खिमलाब्लॉक पंचायत में शासकीय योजनाओं में भ्रष्टाचार और लापरवाही बरतना बताया जा रहा है जिसकी धरातल पर जानकारी जुटाई जा रही है। यही नहीं निर्माण कार्य में गुणवत्ता को दरकिनार कर मापदण्डों को भी पुरा नहीं किया जाना बताया जा रहा है। मनरेगा में भी फर्जी मस्टरोल भरे जाने और कई ऐसे जॉब कार्डो से मजदूरी नीकाली जा रही है जो कभी मजदूरी करने गए ही नहीं है की भी सूचना मिली है, जिसकी जांच प्रगती पर है। आशंका है कि कंपोस्ट पीट निर्माण में भी मापदण्डों को ठेंगा दिखाया गया है।
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खिमलाब्लॉक पंचायत के जिम्मेदारो ने विकास कार्यो के लिए माल खरीदी एवं सेवा में भी भारी वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम देते हुए नियमो को दरकिनार कर बाजार से अधिक मूल्य पर माल खरीदा व सेवाऐं ली है जिसमें माल एवं उपरकरण शामिल है। बता दें कि पंचायत के जिम्मेदारो ने एक ही फर्म से लाखों के माल खरीदे व उसी फर्म से सेवा भी ली और उपकरण भी क्रय किये है। बिलों की तसदीक यह बताती है कि एक ही फर्म ने अलग-अलग दर पर अपना माल दिया है।
बतादें की 1 जुलाई 2022 को दमोह विशेष न्यायाधीश संजय कस्तवार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत तेंदुखेड़ा नगर पंचायत की तत्कालीन अध्यक्ष सहित चार लोगों को बाजार से अधिक मूल्य पर माल क्रय करने के आरोप मे अधिकतम सात-साल की सजा तथा दो लाख बीस हजार रुपये की जुर्माने से दंडित किया था।
किन धराओं के तहत होती है पंचायत में कार्रवाई
पंचायतों में अगर कोई पदाधिकारी या जनप्रतिनिधी दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ मध्यप्रदेश के पचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धरा 40 और 92 के तहत कार्रवाई की जाती है। ऐसे गड़बड़ी के मामलों में पंचायती राज अधिनियम-1994 की धारा-89 के तहत पहले संबंधित सरपंच-सचिव को नोटिस दिया जाता है। फिर धारा-92 के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है। जिसके तहत संबंधितों से आहरित की गई राशि वसूली जाती है। यह उस स्थिति में होता है जब फर्जी तरीके से राशि निकाली गई है। धरा-४० के अनुसार पदाधिकारीयों को हटाने के सन्दर्भ मे रहती है।