जनजातीय उत्थान पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन

स्वरुपगंज।माधव विश्वविद्यालय के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा जनजातीय उत्थान पर विभिन्न विषयों को लेकर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। राष्ट्रीय संगोष्ठी समन्वयक डॉ. अमृत लाल जीनगर ने बताया कि आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में सम्पूर्ण भारत से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
जिसमें विभिन्न विषयों के ज्ञाताओं ने अपने अनुभवों एवं शोधपत्रों के माध्यम से अपने विचार रखें जिसका उपयोग जनजातीय समुदाय के उत्थान हेतु किया जाएगा। राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम दिवस के मुख्य अतिथि गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा के पूर्व कुलपति डॉ. टी. सी. डामोर रहे तथा विशिष्ट अथिति अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक गायक छत्तीसगढ़ के बीके युगरतन भाई एवं जे आर कॉलेज पिण्डवाड़ा के प्राचार्य जगूसिंह पँवार रहे। वही दूसरे दिन के मुख्य अतिथि भारतीय आदिवासी संगमम पश्चिमी क्षेत्र, भारत के सलाहकार डॉ. वेलाराम घोघरा रहे तथा विशिष्ट अतिथि रेडियो मधुबन आबूरोड़ की बी के कृष्णा वैणी बहन एवं डेजर्ट रिसर्च एसोसिएशन जोधपुर के फाउंडर सदस्य डॉ विजय कुमार रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के मुख्य संरक्षक डॉ राजकुमार ने बताया कि माधव विश्वविद्यालय आदिवासी जनजातीय समुदाय के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा देने हेतु प्रयासरत है। संगोष्ठी के समापन पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो एस एन शर्मा ने संगोष्ठी के विषय को विश्वविद्यालय के लिए अति महत्वपूर्ण बताते हुए शुभकामनाएं दी। कुलपति प्रो के एस दहिया ने भी आशीर्वचन स्वरूप आयोजन समिति को बधाई देकर सराहना की। प्रो वी सी प्रो. रणदीप सिंह ने भी संगोष्ठी के समापन का अभिवादन किया। साथ ही विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार बी के चतुर्वेदी ने कार्यक्रम के सफलतापूर्ण सम्पन्न होने पर बधाई दी। समाजशास्त्र विभाग के डॉ अमरजीत कुमार ने बताया कि आदिवासी जनजातीय समुदाय ने ही आज भी हमारी भारतीय संस्कृति को जीवंत कर रखा है। सचिव डॉ. कांतिलाल यादव द्वारा दो दिन की संगोष्ठी का विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया और जनजातीय उत्थान पर अपने विचार रखे। संगोष्ठी निदेशक प्रो गीता सक्सेना ने कार्यक्रम के अंत में पधारे हुए समस्त अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया और संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी को सफल बनाने में प्रो रविन्द्र कुरूप, डॉ देवेंद्र मुझाल्दा, डॉ आर पी सिंह, डॉ संजय परिहार, डॉ विजय सिरतुरे, डॉ ऋषिकेश गौतम, डॉ रेणुका, डॉ प्रभा गौड़, सुश्री चेतना का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर अधिष्ठाता अकादमिक डॉ. विद्या शक्तावत, शोध निदेशक डॉ पवन कुमार, नेक निदेशक डॉ सुमित माथुर, परीक्षा नियंत्रक डॉ मुकेश महावर, विधि विभाग के अधिष्ठाता डॉ डी के उपाध्याय, शिक्षा विभाग के अधिष्ठाता डॉ अवधेश आढा, डॉ पी के सिंह, डॉ प्रदीप तिवारी सहित विश्वविद्यालय के अनेक अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहें। मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा 14 और 15 दिसंबर को जनजाति उत्थान में सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, शैक्षणिक, आर्थिक, भाषिक, संचारिक एवं विविध गतिविधियों का योगदान विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी जनजातीय उत्थान हेतु किया गया एक सराहनीय प्रयास है। दो दिनों की इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में जनजातीय उत्थान तथा इस समुदाय को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर गहन विचार-विमर्श भी हुए।