होम

जनप्रतिनिधियों की मेहरबानी को तरसता अरनोद का बस स्टैंड |

जनप्रतिनिधियों की मेहरबानी को तरसता अरनोद का बस स्टैंड

अर्पित जोशी रिपोर्ट

बस स्टैण्ड पर यात्रियों के लिए नहीं है कोई सुविधा

प्रतापगढ़ जिले के अरनोद कस्बे के विकास को लेकर सरकार व जनप्रतिनिधि भले ही खूब दावे करें,लेकिन आज भी कस्बे में मूलभूत सुविधाएं पूर्ण रूप से नहीं मिल पा रही हैं। कस्बे की सबसे बड़ी पीड़ा बस स्टैंड की कमी।दशकों से कई जनप्रतिनिधि आए और चले गए किसी ने भी बस स्टैंड की समस्या पर ध्यान तक नहीं दिया। मजबूरन कस्बे का बस स्टैंड आज भी सडक़ पर चल रहा है। जहां न तो कोई छाया की व्यवस्था है और ना ही बैठने की सुविधा। चौराहे पर व कस्बे में मुख्य सडक़ पर वर्षों से अस्थाई बस स्टैंड बनाया हुआ है। सडक़ पर ही बसे रुकती हैं। यात्री भी गंदगी के बीच वाहनों की प्रतीक्षा करते हैं।
अरनोद चौराहे पर बस स्टैंड के अभाव में सडक़ पर खड़े होकर वाहनों का इंतजार करते यात्री।
और कोई भी जनप्रतिनिधि ने आज तक कोई भी प्रयास नही किया बस स्टैंड के लिये
गंदगी,आवारा मवेशियों के आतंक और कई तरह की परेशानियों के बीच यहां सवारी सडक़ पर ही बैठकर वाहनों की राह देखते हैं। बारिश के मौसम में व भीषण गर्मी में यात्रियों को वाहनों के इंतजार में खुले आसमान के नीचे ज्यादा परेशानी होती है। दशकों से कस्बे की आबादी बढ़ी। लेकिन एक बस स्टैंड तक का नहीं होना यहां के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता स्पष्ट बयां करता है।
बाहरी यात्रियों के सामने छवि धूमिल
एक स्थायी बस स्टैंड और यात्री प्रतीक्षालय की कमी झेलते हुए कस्बेवासियों को बरसों बीत गए।कई बार युवाओं ने एवं ग्रामीणों ने आवाज भी उठाई,लेकिन जनप्रतिनिधि ने पीड़ा को नहीं समझा। स्थानीय कस्बेवासियों ने बताया की सामाजिक संगठनों के द्वारा व स्थानीय लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों को मौखिक रूप से इस समस्या के बारे में अवगत कराया। लेकिन अभी तक किसी ने बस स्टैंड नही बनवाया।

महिला सुविधा घर तक नहीं
यहां बस स्टैंड तो दूर की बात छोटा सा बस स्टॉप तक नहीं है।यात्री बसों का इंतजार करने के लिए यहां वहां सिर तो छुपा लेते हैं। लेकिन सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ता है। सर्वाधिक परेशानी महिलाओ यात्रियों को होती है रोड पर खड़े होकर व बैठकर करते हैं इंतजार
कस्बे में बस स्टैंड नहीं होने के कारण यात्री बसों का इंतजार यहां पर फैली हुई गंदगी व दुकानों के सामने बैठकर करते रहते हैं।इसके साथ ही गर्मियों में तो धूप में खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है। जहां पर ना तो बैठने की व्यवस्था है और ना ही छाया की

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button