जाजली में आयोजित आदिवासी चिंतन शिविर में वक्ताओं ने उठाया आरक्षण का मुद्दा

प्रतापगढ़। आदिवासी परिवार द्वारा आयोजित चिंतन शिविर में अरनोद ब्लॉक के अलावा पूरे जिले के लोग शामिल हुए भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा के पूर्व ब्लॉक संयोजक कन्हैया लाल माल ने बताया कि चिंतन शिविर में वक्ताओं द्वारा अलग-अलग विषय पर चर्चा की गई। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक मांगीलाल निनामा ने बताया की संविधान की मूल भावना के अनुरूप आदिवासियों को आरक्षण मिलना चाहिए अगर संविधान की मूल भावना के अनुसार आदिवासियों को आरक्षण नहीं मिल रहा है तो आदिवासी समुदाय को एकजुट होकर सरकार का विरोध प्रदर्शन करना होगा, 2013 एवं 2016 की अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर आरक्षण पॉलिसी को लागू करना होगा। आदिवासी रमेश मईडा ने बताया कि आदिवासियों के लिए भला करने वाले पांचवी अनुसूची को लेकर सरकारी तंत्र एवं जनप्रतिनिधि उदासीन है जमीनी स्तर पर पांचवी अनुसूची को लागू करना होगा तभी आदिवासी सुरक्षित हो सकता है।
भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के जिला संयोजक मदन कटारा ने आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय एवं शोषण के बारे में बताया। आदिवासी कर्मचारी संगठन के किशन अहारी ने शिक्षा के बारे में जानकारी दी। भील प्रदेश प्रदेश मुक्ति मोर्चा के जिला संरक्षक शानू हाडा ने बताया कि राजनीतिक पार्टियां भी सत्ता के मध में रहती है आदिवासियों के हक और अधिकार को नजरअंदाज करती है। आदिवासियों को नजरअंदाज करने वाली राजनीतिक पार्टियों को भी आदिवासियों को नजरअंदाज करना होगा। बांसवाड़ा से आए प्रभु लाल कटारा ने खाद की कालाबाजारी रोकथाम पर चर्चा की और बताया कि अगर ऐसा कहीं पर भी पाया जाता है तो मिलकर विरोध करेंगे। भील प्रदेश प्रदेश मुक्ति मोर्चा के ब्लॉक संयोजक दिलीप राणा ने वर्तमान में हो रही समस्याओं के बारे में चर्चा की उन्होंने कहा है कि सरकार लोगों की सड़क, बिजली, शिक्षा स्वास्थ्य एवं पानी की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है। वीरावली पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि धनराज गणावा ने कहा है कि आदिवासियों के हक के लिए एवं विकास के लिए सरकार को अतिरिक्त बजट खर्च करना चाहिए । कार्यक्रम का संचालन अनिल बुज ने किया एवं आभार व्यक्त जगदीश मईड़ा आठीनेरा द्वारा किया गया।