दिनेश खानन के समर्थन में राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए पूरे प्रतापगढ़ जिले में दिया गया ज्ञापन

प्रतापगढ़। बेणका टापू-माही नदी तट पर भीलवंश की सदियों पुरानी फूल पदराने की पुरखाई परंपरा निर्वहन के दौरान पंडे-पुजारियों द्वारा अनाधिकृत रूप से रुपये पैसे लूटने एवं लूट रोकने हेतु सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश खानन से हुई बहस का हुए वीडियो वायरल घटना के आधार पर आदिवासी समुदाय ने ज्ञापन के द्वारा मांग कर निवेदन किया कि
(1) संविधान के अनुच्छेद 51 (A)H, अनुच्छेद 19(1), सुप्रीम कोर्ट के फैसले 5जनवरी,2011 का पालन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश खानन प्रदेशाध्यक्ष ट्राइबल एम्प्लाइज फेडरेशन (TEF) अपनी बात सदा से रखते आए हैं, उनके सामाजिक कार्य को देखते हुए सभी आदिवासी कर्मचारियों ने सर्वसहमति से प्रदेशाध्यक्ष चयन किया है!
(2) डूंगरपुर जिला स्थित बेणका टापू-माही नदी तट पर हजारों वर्षों से वर्षभर मरे मन्नारी-मन्नारे पूर्वजों का फूल पदराने (बाल, नाखून, अस्थि विसर्जन) “हर वर्ष एक दिन माघ पूर्णिमा” को एकत्र होते हैं, इस तरह देशभर में माघ पूर्णिमा का मेला शुरू हुआ है, यह परंपरा देश के सभी आदिवासी क्षेत्रों में जीवित देखी जा सकती हैं!
(3) जनसंख्या बढ़ने एवं माघ पूर्णिमा को असुविधा की दृष्टि से पिछले कुछ वर्षों से “पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक पूरा महीना” फूल पदराने आने जाने का अनवरत सिलसिला जारी रहता हैं,फूल पदराने के दौरान किसी भी प्रकार की पंडे-पुजारी से पूजा कराने की मूल परंपरा नही है, पिछले कुछ वर्षो से पंडे-पुजारी माही नदी घाट पर राजनीतिक लोगों के संरक्षण में जबरन बैठकर रुपया पैसा ऐंठने का व्यापार कर रहे हैं,यह हमारी मूल पहचान पर वैदिक धर्मी सामाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक अतिक्रमण हैं!!
(4) वैदिक धर्मी वर्णी लोगों के पूर्वजों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले 5जनवरी,2011 में उल्लेखित संस्कृत धर्म शास्त्रों में आदिवासी पूर्वजों के लिए चरित्रहीन, हिंसक, असामाजिक, असभ्य, लुटेरे जैसे काल्पनिक प्रसंग लिखे हैं, देश में सदियों से नारी विरोधी मानसिकता, अमानवीय जाति व्यवस्था, वर्ण व्यवस्था थोपी, इस्लामी आक्रमण के दौरान देशी राजाओं-राजपूत रजवाडों को आपस में लड़ाकर देश से गद्दारी करने, आज भी दुश्मन देशों को गोपनीय सूचना देने, बड़े बड़े आर्थिक घोटाले करने, बम ब्लास्ट की घटनाएं करने,विदेशों में पैसा जमा करने तक के दोषी करार दिए जा चुके हैं! दूसरी तरफ आदिवासी सदा से स्वाभिमानी, देशभक्त, अहिंसक, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व, जिओ और जीने दो की सोच के साथ अनवरत स्वतंत्र जीवित रही हैं! ऐसी बेदाग आदिवासी समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ता पर “सामाजिक समरसता बिगाड़ने” का आरोप लगाते हैं, जबकि देशभर में सामाजिक समरसता बिगाड़ने का काम पंडे-पुजारी वर्ग ही कर रहे हैं!!
(5) वर्णी पंडे-पुजारी वर्ग का देशभर में मरने वाले पुरखों के तर्पण के लिए गंगा नदी हरिद्वार-काशी निर्धारित है, जबकि देशभर में आदिवासी समुदाय अपने रहवास क्षेत्र के आसपास के नदी बेळ (संगम) पुरखाई नियमानुसार निर्धारित है!!माही नदी घाँटी के भीलवंश के लिए हजारों वर्षों से बेणका टापू-माही नदी तट निश्चित किया गया स्थान है!!इस इलाके में वर्णी लोग आए 1000वर्ष से ज्यादा नहीं हुआ है और आदिवासी महान विरासत पर कब्जा करना चाहते हैं, यह हमारा सामुहिक सामाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक विरोध कई वर्षों से चल रहा है, इसी के तहत वर्तमान घटना घटित हुई हैं!!
(6) वर्णी लोगों की नारी के प्रति नकारात्मक मानसिकता देशभर में घटित घटनाओं से जगजाहिर है, फूल पदराने के दौरान आदिवासी महिलाएं एक कपड़ा पहन कर रोते बिलखते हुए स्नान करती हैं और नदी तट पर बने घाट पर पंडे-पुजारी बैठकर स्नान करती हमारी महिलाओं के खुले अंगों को ललचाई नजरों से देखते रहते हैं,बुरी नजरों से देखते हुए देखकर हमारा दिल-दिमाग में आक्रोश पनपता है, इसी से प्रेरित होकर अब सिर से पानी गुजरता देख आदिवासी समुदाय के लोग विरोध करने लगे हैं और पंडे-पुजारी राजनीतिक लोगों के माध्यम से इसे “सामाजिक समरसता बिगाड़ने” के आरोप के साथ हमें दबाने की असंवैधानिक कोशिश कर रहे हैं! संविधान में सांस्कृतिक सुरक्षा का मौलिक अधिकार है, इसी के तहत हमारा सामुहिक प्रतिनिधित्त्व ट्राइबल एम्प्लाइज फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष दिनेश खानन ने किया हैं, पूरा आदिवासी समुदाय उनके साथ हैं!
इसलिए राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री से निवेदन है कि बेनका ( बेणेश्वर) स्थल पर अनाधिकृत रूप से पूजा विधान सम्पन्न करने वाले व जबरन पैसे वसूली करने वाले पुजारियों को अविलम्ब उक्त स्थल से हटाया जावे ,साथ ही हमारे आदिवासी समुदाय के शिक्षक व सामाजिक चिंतक/विचारक दिनेश कुमार के खिलाफ विप्र सेना के प्रमुख सुनील तिवारी डुंगरपुर के द्वारा एक वीडियो जारी कर सम्मानीय शिक्षक के लिए अभद्रतापूर्ण भाषा का प्रयोग किया गया,जिससे पूरे आदिवासी समुदाय को ठेस पहुंची है ! प्रशासन उक्त व्यक्ति व पुजारियों के खिलाफ ठोस कानूनी कार्यवाही करे ताकि सामाजिक समरसता बनी रहे! जिस तरह वीडियो में सुनील तिवारी ने धमकी भरी आवाज में बात कही जिसका हम पूर्ण विरोध करते हैं,जो कि अनुसूचित क्षेत्र अनु 244 (1),आर्टिकल 13,3,a कस्टमरी ला, आर्टिकल 19 के पैरा 5 व 6 के तहत अनुसूचित जनजातियों के सवैंधानिक अधिकारों का हनन है!