दूधली टाण्डा गांव व ढलमू मानपुरा में लठ्मार होली का हुआं आयोजन

यहां ब्रज की संस्कृति देखने को मिली लठ्मार होली को देखने आए दूर दराज से लोग
प्रतापगढ़। जिले के धमोत्तर पंचायत समिति के कुलमीपुरा ग्राम पंचायत के दूधली टाण्डा गांव के श्रीवीर तेजाजी महाराज मंदिर के शुक्रवार को लठ्मार होली डीजे की धूम व नगारों की थपथपाहट के साथ आयोजन हुआ।
श्री लवसेना मीडिया प्रभारी दशरथ लबाना ने बताया कि लठ्मार होली का आयोजन जो कि लबाना बाहुल्य क्षेत्रों में सदियों से चलता आ रहा है।
लठ्मार होली को खेलने के लिए दूधली टाण्डा गांव के नायक मांगीलाल लबाना के घर से डीजे की धूम से होली के गितों का गायन करते हुए गए। इस होली में महिलाओं द्वारा पुरूषों पर लठ् बरसाऐ गए। पुरूष सहजता के साथ लठ् की मार को सहन करते हुए बचाव किया।
लठ्मार होली से पहले शाम ढ़लने से पुर्व विधी विधान पूर्वक पूजा, अर्चना के साथ पुरूष व महिलाओं द्वारा ललेनो नृत्य नगांरो के थपथपाहाट से शुरू किया। उसके बाद में लठ्मार होली खेली। नेजा लूटने के दौरान पुरूषों को घेर-घेर कर लाठियां बरसाई गई। जबकी पुरूष अपनी लाठियों के दम पर महिलाओं से लाठियों से बचने का जतन करते रहें। यह होली लबाना बाहुल्य गांवों में लठ्मार होली के मदे्नजर आस-पास के कई गांवों के समाजजन यहां भागीदारी करने पहुंचे।
महिलाओं को सम्मान देने का पर्व
गावं के बुर्जगों के अनुसार पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं के समानता का दर्जा बना रहे इसके लिए बुर्जगों ने इस प्रकार के कार्यक्रम रखे थे। पुराने समय में पुरूष-प्रधान समाज में जहां महिलाओं की हर जगह उपेक्षा की जाती थी। इससे महिलाओं में पुरूष समाज के प्रति उत्पत्र कुंठा के भाव को दूर करने के लिए लठ्मार होली का आयोजन हुवा। इसके माध्यम से महिलाओं की सालभर की कुंठाएं को होली के पावन पर्व में खत्म करने के उदे्श्य को लेकर भाभी, काकी, अन्य महिलाएं अपने देवर, नजदीकी रिश्तेदारी, अन्य जनों को भी मारी, महिलाएं भी अपने प्रतिशोध होली के माध्यम से मन मे भेदभाव को मिटाया। इस दिन पुरूष खुशी-खुशी महिलाओं से मार खाकर उनकी सालभर की भरी कुंठाओं और गिले शिकवों को दुर किया। इस खेल को खेलने से पूर्व भगवान शिव व पार्वती के सुखमय जीवन के गीतों का गायन किया।
इस आयोजन का उदे्श्य भगवान शिवशंकर के वरदान के कारण यह आयोजन लबाना समाज में खेला जाता है। चौर द्वारा बेल ले जाना व नायक की मृत्यु कर देने पर जब पार्वती व शिवशंकर भगवान विचरण कर रहे थे उस समय नायक की पत्नी रो रही थी उस समय पार्वती व शिवशंकर भगवान को नायक की पत्नी रोने पर दया आने पर उन्होंने कहा कि इसको दण्डी मारकर भगाने को लेकर नायक की पत्नी को शिवशंकर ने वरदान दिया था और उसका पति को जिवित कर देने को लेकर लठ्मार होली का आयोजन चोर को भगाने को लेकर किया जा रहा है। इस पर्व को स्थानिय भाषा मे नेजा लुटना कहा जाता है। जो कि यहा ब्रज की संस्कृति देखने को मिली है। यह पर्व केवल लबाना समाज में ही कई सदियों से चलता आ रहा है। लठमार होली के उपरांत वापस गांव में डीजे की धुन पर नाच गाने के साथ रवाना हुए। यहां पर प्रतापगढ़ शहर सहित आस—पास के ग्रामीण मानपुरा, ढ़लमु, सिद्धपुरा, करमदीखेड़ा, अखेपुर, धमोत्तर, बोरी, बारावरदा, बिहारा, नकोर, ग्यासपुर, कड़ियावद, अमलावद, थड़ा, भुवासिया व गादोला आदि गांवों के लोग लठ्मार होली को देखने आए। ढ़लमु मानपुरा के नायक अशोक लबाना ने बताया कि इसी तरह से कुलमीपुरा ग्राम पंचायत के ढ़लमु मानपुरा में भी लठ्मार होली खेली गई।