पंचायत समयनीमच

पंचायतों में भारी भ्रष्टाचार, विभागीय कार्रवाई ठण्डे बस्ते में, 1 साल में 100 से ज्यादा शिकायतें

सीएम हेल्पलाइन व्यवस्था में जॉंच अधिकारी लगा रहे सेंध

पंचायतों में भारी भ्रष्टाचार, विभागीय कार्रवाई ठण्डे बस्ते में

नीमच। जिले की कई ग्राम पंचायतों में वित्तीय एवं कार्य अनियमितताएं देखने में आई हैं। चौथा समय ने पोर्टल के माध्यम से जानकारी निकाली तो पता चला की पंचायतों ने नियमों को ताख पर रख कर कार्य व भुगतान किए गए है, जो भ्रष्टाचार की श्रेणी में आते हैं। गौरतलब है कि विधानसभा में भी प्रदेश की एक हजार से ज्यादा पंचायतों मे ऑडिट रिपोर्ट के खुलासे के बाद करोड़ो रूपए की धांधली सामने आने के मुद्दे को प्राथमिक्ता के साथ उठाया गया था।

नीमच जिले की पंचायतों मे भी सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक द्वारा मनमानी तरीके से कार्य एवं भुगतानो को नियमो के विरूद्ध अंजाम दिया जा रहा है। जिसमें सत्ता बल चरम पर है। लगभग अधिकांश पंचायतों मे सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक कोई ना कोई तो सत्ता बल का रूवाब दिखाता नजर आता है। शिकायतों के मामले में स्वंय विभागीय जॉंच अधिकारीयों की भूमिका भी संदिग्ध है जो सांठ-गांठ के दायरे में है और 181 (सीएम हेल्प लाईन) की जॉंच मामले में पक्षपात कर सरकार की व्यवस्था में सेध लगा रहे हैं।

ऐसे हो रही है पंचायतों मे कार्य एवं वित्तीय अनियमितताएं

जिले की ग्राम पंचायतों में निार्मण कार्य टीएस अनुसार और निर्मार्णीय मापदंडो को पूर्ण ना कर भुगतान किए जा रहे है। यहीं नहीं इन कार्यो की सीसी (कम्पलीट सर्टिफि केट) जारी करवा ली गई है। ठीक इसी तरह पंचायत दर्पण, ई-ग्राम स्वराज पर भी अलग-अलक मद से भुगतान नियमों के विरूद्ध किए जा रहे हैं।

बता दें कि ग्राम पंचायतों में किसी भी निर्माण कार्य का भुगतान उसके मूल्यांकन के आधार पर किया जाता है जो उपयंत्री द्वारा होता है, लेकिन यहां पर पंचायतों मे कार्य मापदंडो और पूर्ण नहीं होने पर भी भुगतान व सीसी जारी हो रही हैं। कई मदो में तो एक ही बिल पर कई भुगतान किए जाने के साक्ष्य उपलब्ध है तो 15 वित्तीय की राशि से जल संधारण में बिना काम काज बार-बार एक ही कार्य के भुगतान करे जा रहे है। पंचायतों मे सिर्फ मनरेगा को मुद्दा बनाया जाता है लेकिन असल में भ्रष्टाचार पंचायत के अन्य कार्यो पर किए भुगतानो पर है।

पंचायतों

ऑडिट रिपोर्ट सवालो के घेरे में

पंचायतों को कैशबुक से लेकर सभी भुगतानो के बिल व वाउचर साक्ष्य के रूप में संग्रहण करने होते है। इन्ही के आधार पर अंकेक्षण (ऑडिट) किया जाता है, लेकिन क्या इन बिल-वाउचर से किए गए भुगतानो का मिलान कार्य योजना अनुसार किया जा रहा है…? क्या पंचायती राज अधिनियम अनुसार किए जाने वाले भुगतान के नियमों की पालना हो रही है…? तो जवाब नहीं… मे है, क्योंकि पॉंच हजार से ज्यादा का भुगतान वाउचर से नहीं किया जा सकता, अगर ऐसा है तो पोर्टल पर भुगतान प्रक्रिया मे वाउचर नहीं बिल की प्रति अपलोड़ कि जानी चाहिए, लेकिन ऐसा ना करते हुए वाउचर पैमेंट पाँच हज़ार रूपए से कुछ कम कर किया जाता है जो इस श्रेणी में नहीं आता है, क्योंकि बिल अपलोड़ करने से इनकी पोल ऑनलाईन पोर्टल पर खुल जाती है लेकिन ऑडिट मे आज तक इनका खुलासा नहीं हुआ है।

ऐसे ही पंचायत राशि के लेन-देन पर टेंट, भोजन, फ ोटो कॉपी, पेंटिंग कार्य, टैंकर व पंचायत भवन पुताई, फ र्निचर, कंप्यूटर के रखरखाव व निर्वाचन की व्यवस्था, मोटर रिवांईनडिंग, स्टेशनरी, शौचालय निर्माण के साथ बैंको से कारोबार की अनियमितता शामिल है, लेकिन जिले की तीनो जनपद पंचायतों की ग्राम पंचायतों से ऐसे भुगतनो की गड़बड़ी ऑडिट रिपोर्ट मे आज तक उजागर नहीं हुई और ना ही इनके दोषियों से कोई कार्रवाई के तहत वसूली की गई है, जो ऑडिट रिपोर्टो को कई सवालो के घेरे मे लेती है।

जिले में बिना बिल-टेंडर करोड़ो की खरीदी और भुगतान

शासकीय क्रय में कार्यकुशलता, समयबद्धता, मितव्ययिता, पारदर्शिता एवं प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्रदेश के सूक्ष्म लघु उद्यमों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य शासन, शासकीय विभाग एवं उनके घटकों द्वारा सामग्री एवं सेवा उपार्जन हेतु मध्यप्रदेश क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम २०१५ लागू करता है जो पंचायतो में भी लागू होती है लेकिन नीमच जिले की लगभग सभी पंचायतों मे इसके विपरीत अपनी मनमानी से बंदरबांट कर सेवाऐं एवं माल क्रय कर रही है, और जमकर चांदी काटी जा रही है।

पंचायतो द्वारा बिना टेंडर निकाले माल खरीदी एवं सेवाऐं ली गई है साथ ही इन पर मनमानी तरीके से एक ही फ र्म या अन्य द्वारा माल एवं सेवा लेने कि किमतो में अन्तर है। इसके अलावा ५ हजार से ज्यादा के भुगतान वाउचर से नहीं किए जाने का प्रावधान है लेकिन हजारों रूपए के भुगतान वाउचर पर किए गए हैं जिससे साफ जाहिर है कि पंचायतो में किस तरह नियमों को धुल चटाकर खुल्लमखुल्ला भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

चौथा समय ने जब ऐसी ही कुछ पंचायतों के सरपंच-सचिवों से नियम के हवाले से जानकारी लेनी चाहि तो इनके तेवर तो बदले ही साथ में बोल भी बिगड़ गए। सत्ता बल के नशे में चूर सरपंच-सचिवों ने तो जो भी करना है करलो, अधिकारी खुद हमको चोरी करना सीखाते है का गुबार निकाला तो कुछ ने सभी जगहो पर ऐसा होना बताकर पलड़ा झाड़ लिया। बचे रोजगार सहायको ने तो अधिकारीयों के निरीक्षण पर आने वाले खर्चो को कैसे पूरा किया जाएं…बताओ? कहकर बात खत्म कर दी।

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