राजस्थान

प्रतापगढ़ जिले में उठी भील प्रदेश की मांग हर ब्लॉक से सौंपा ज्ञापन, हमारी मांगे जायज है: मांगीलाल निनामा

प्रतापगढ़। जिला आदिवासी बाहुल्य होने एवं आदिवासियों के जल जंगल जमीन को लेकर जागरूकता से आज जिले भर में अलग राज्य भील प्रदेश की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय ने ज्ञापन के द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है।

भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा द्वारा प्रतापगढ़ जिले में जिला मुख्यालय एवं समस्त ब्लॉक में कलेक्टर / उपखण्ड अधिकारी / विकास अधिकारी/तहसीलदार के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री भारत सरकार के नाम ज्ञापन दिया गया।
भारत देश के आदिवासी समुदाय से जुड़े ज्वलंत मुद्दे एवं संविधान के अनुच्छेद 3 (क. ख ग घ ड) के तहत् पश्चिमी भारत के भील आदिवासी सांस्कृतिक क्षेत्र के चार राज्यों का सीमाई इलाका एवं एक केन्द्र शासित प्रदेश को जोड़कर “भीलप्रदेश राज्य गठन किए जाने के लिए आदिवासी समुदाय एक आवाज बनता जा रहा है।

ज्ञापन के जरिए आदिवासियों की प्रमुख मांगे रखी गई है:
जिसमें सर्व प्रथम भारतीय उपमहाद्वीप में 20 लाख साल पहले से रह रहे आदिवासियों को समान नागरिक संहिता से आदिवासी समुदाय को बाहर रखा जाये। RSS के संगठन “जनजाति सुरक्षा मंच के नाम से ईसाई इस्लाम धर्म – अपना चुके आदिवासीयों को आपस में लड़ाने के लिये डी-लिस्टींग का मुद्दा खड़ा किया गया है। इस आदिवासी बनाम आदिवासी लड़ाई के षडयंत्र को अविलम्ब रोका जाये। नेशनल कॉरीडोर, भारतमाला प्रोजेक्ट, एक्सप्रेस हाईवे, औद्योगिक निवेश क्षेत्र (SEZ) के नाम पर आदिवासियों का विस्थापन रोका जाये। वन संरक्षण कानून-2023 आदिवासी क्षेत्रों (अनुसूचित क्षेत्रों) में लागू न किया जाये। भारत के आदिवासी क्षेत्रो (अनुसूचित क्षेत्रो में वन विभाग की जमीन वृक्षारोपण – वन संरक्षण- वन्य जीवों के संरक्षण क…सभ्यता) भील सहित आदिवासी पूर्वजों की देन थी। हड़प्पाई संस्कृति आज भी आदिवासी समुदाय में जीवित देखी जा सकती हैं इसे संरक्षित करने के लिए भील आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में “भीली संस्कृति बोर्ड” का गठन हो। विश्व की प्राचीनतम पर्वतमाला अरावली धरती पर सबसे पहले ठंडा होने वाले इलाके का भाग है जहाँ सबसे पहले पेड़-पौधे एवं जीव-जन्तु पैदा हुए। अरावली पर्वतमाला से निकलने वाली मानसी वाकल, साबरमती, सेई नदीयों के सबसे समृद्ध पाट स्थल कोटडा तहसील में दो बाँध बुझा बाँध (कूकावास, झेड, बाखेल, माण्डवा, कोदरमाल पंचायत) सक सांडमारिया बाँध (घघमता, खजूरिया, बिकरनी रूजिया खूणा पंचायत) की समतल उपजाऊ जमीन डूब क्षेत्र में जा रही है। इसी क्षनांक डॉ. अरुण सोनकिया को जिवाश्म मिले जिसमें हाथी, जंगली भैंसा शामिल थे 70 हजार वर्ष पुराने मानव की कपाल के अवशेष भी खोजे थे वैज्ञानिकों द्वारा इसे “नर्मदा मानव” कहा गया। हथनोरा के सामने घांसी और सूरजकुंड में नर्मदा के उत्तरी तट पर प्राचीनतम विलुप्त हाथी (स्टेगो तथा तथा उपरी जबड़े का जिवाश्म भी खोजा गया था। 4/10 इस तरह साबरमती नदी घांटी एवं नर्मदा नदी घाट के मानव अवशेषों से प्रमाणित होता है कि प्रारंभिक मानव अफ्रीका के साथ-साथ भारत के गोंडवानालैण्ड में भी जन्मा था इन्हीं के वंशज भारत भूमि के आदिवासी समुदाय के वर्तमान वंशज है। भारत सरकार आदिवासी समुदाय को प्रथम राष्ट्र (The First Nation) घोषित करें। मिलोडी भाषा का भी सर्वेक्षण किया था। पेशे से डॉक्टर चार्ल्स स्टीवर्ट थॉम्पसन ने भीली भाषा की पहली व्याकरण एवं शब्दकोष “रूडीमेंट्स ऑफ द भीली लेंग्वेज 1895 में लिखकर प्रकाशित की थी। संविधान सभा के गठन से भी पहले “भीली बोली भाषा की व्याकरण एवं शब्दकोष की किताब प्रकाशित हो चुकी थी। इसके बावजूद “भीली बोली भाषा” को संविधान की आठवीं अनुसूचि में “अनुसूचित” नहीं किया गया। हमारी पुरजोर मांग है कि रूडीमेंट्स ऑफ द भीली लेंग्वेज 1895 के मूल आधारपर भीली बोली भाषा शब्दकोष का संकलन कराकर भीली भाषा को मान्यता दी जाए। आठवी अनुसूचि में अनुसूचित किया जाए ताकि राजस्थानीगुजराती- मराठी-हिन्दी के बजाए प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम भीली बोली भाषा में बनाकर लागु करा सके। सेवा में भर्ती आवेदन पत्र आदि सरकारी आवेदनों में “धर्म” लिखना अनिवार्य न हो, कॉलम हटाया जाए। राजस्थान – गुजरात महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश के आदिवासी अनुसूचित जिलों / उपखण्डों के मुख्यालयों पर आदिवासी महापुरूषों की मूर्तियां स्थापित कर “आदिवासी प्रेरणा स्थल विकसित किए जाये।
8 संविधान के अनुच्छेद 13(3) क, 15(4). 16(4). 19 (5) (6), 243ZC. 244(1) (2) के मुल प्रावधान अक्षरथः पालन कराने एवं सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली के ऐतिहासिक फैसले क्रमश: समता बनाम आन्ध्रप्रदेश सरकार 11.07. 1997, कैलाश बनाम महाराष्ट्र सरकार 05.01.2011, अमेन्द्रा प्रतापसिंह बनाम तेजबहादुर प्रजापति 21.11.2003, केरल राज्य बनाम सत्मन के भील प्रदेश पर्वत चोटियों पर “जनजाति विकास विभाग (TAD) पवन चक्कीयां लगवाकर जलस्त्रोतों से पानी पहाडियों पर चढ़ाकर पर्वतश्रृंखलाओं को हराभरा करने की योजना “नदी जोडो अभियान की तर्ज पर शुरू की जाए तथा पवन चक्कियों की बिजली आदिवासी परिवारों को मुफ्त उपलब्ध करावे। ऐसी नीति सभी “अनुसूचित क्षेत्रो में बनाकर अमल करावे। आदिवासीयों की “आराध्य कुळमताई पावागढ काली मताई थानक पहाडी से केवल 7 किलोमीटर दूर मुख्य नर्मदा नहर कच्छ – मारवाड की ओर जा रही है। मुख्य नर्मदा नहर से पानी लिफ्ट कर पावागढ़ पहाड़ी पर चढ़ा दिया जाए तो ग्रेविटी से पानी पंचमहाल, दाहोद, थांदला पेटलावद (झाबुआ), सेलाणा, रावटी शिवगढ़, बाजना (रतलाम), कुशलगढ (बांसवाडा), महीसागर डूंगरपुर, अरवल्ली जिले राजस्थान सरकार भूमि राजस्व दस्तावेजों में 1947 से 1950 तक का दर्ज समुदाय नाम भील ही पुनः लिखवाकर दस्तावेज संशोधन करावे जाति प्रमाण पत्र एवं जनगणना रजिस्टर में भील समुदाय नाम ही दर्ज करावे। राजस्थान के जोधपुर संभाग के सभी जिलों में रेगिस्तान जनजाति विशेष क्षेत्र (डी.टी.एस.) लागू हो। बिकानेर संभाग के भील नायक समुदाय को जनजाति में शामिल किया जाए।
जलगांव-धुले नासिक – नंदुरबार- पालघर- ठाणे के आदिवासी समुदायों के पास न्युनतम खेती बाडी योग्य जमीन है। ठीक इसी तरह की परिस्थिति गुजरात मध्यप्रदेश राजस्थान में भी है।
चारों राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों में “लैड बैंक बनाकर भूमिहिन आदिवासीयों को जमीन उपलब्ध करावे।
सरदार सरोवर बैंक वाटर क्षेत्र के जिलों अलिराजपुर झाबुआ- बडवानी – खरगोन- धार- नंदुरबार के आदिवासी क्षेत्रों में जल जीवन मिशन के तहत पेयजल परियोजना DPR बनाकर वित्तीय स्वीकृति जारी करावे राष्ट्रीय पेयजल परियोजना की मान्यता दी जावे। नर्मदा सरदार सरोवर बैंक वाटर का पानी सोंडवा (अलिराजपुर) से लिपट कर अलिराजपुर-झाबुआ दाहोद जिलो के आदिवासीयों की पेयजल जरूरतें पूरी हो राजस्थान में 1951 में स्वतंत्र धर्म कॉलम कोड को समाप्त करने के बाद 1961 की जनगणना उपरान्त भील आदिवासी समुदाय का समुदाय ( Community) नाम राजस्व रिकार्ड में मीना/ मीणा लिख दिया गया है जाति प्रमाण पत्र भी जबरन मीना/ मीणा का बनवा रहे है। भीली अस्मिता अस्तित्व की सुरक्षार्थ अरावली पर्वतमाला के पूर्वी भाग और विंध्याचल पर्वतमाला के बीच अनादिकाल से रहवास करते आ रहे भील पूर्वजों ने बागोर (भीलवाड़ा) एवं आहड (उदयपुर) सभ्यता का विकास 4500 वर्ष पूर्व किया था उनके वशजों को शासन-प्रशासन में प्रतिनिधित्व (आरक्षण) न्यूनतम है उस भीलवंश के अधिकतम विकास को कुछ वर्षो पूर्व षडयंत्रपूर्वक राजस्थान राजस्व विभाग द्वारा अधिकतम स्वामित्व Non Tribal को दे दिया है। राजस्थान-गुजरात-महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश (नीलप्रदेश) में “भील आदिवासियों के लिए कानून बनाकर जल आरक्षण का प्रावधान” बनाकर अविलम्ब अमलीकरण किया। राजस्थान- गुजरात-महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश (नीलप्रदेश) अनुसूचित क्षेत्रों (Scheduled Area) में संविधान के अनुच्छेद 244 (1) की मूल भावना अनुरूप प्रशासन में आरक्षण लागू किया जाए। आदिवासी इलाकों (अनुसूचित क्षेत्र- पाचवी अनुसूची टेरीटरी) में पुलिस प्रशासन में सामंतवादी लोगों की ही भर्ती की जा रही है, जो रजवाडों की स्थापना से आदिवासियों के दमन में लगे है, के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हमारी भावनाओं पुरखों के जीवन मूल्यों-मानव प्रजाति सहित जीव जगत की सुरक्षार्थ “भील प्रदेश राज्य बनाने की संवैधानिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया संविधान एवं लोकतंत्र सम्मत शुरू कराने को आदेशित कराये।
इसके अलावा भी अन्य मांगे शामिल की गई है ज्ञापन देने में भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा, युवा मोर्चा विद्यार्थी मोर्चा, किसान मोर्चा के सदस्य मौजूद रहे।

तारूसिंह यादव

Tarusingh Yadav National Chautha Samay News City Reporter, Pratapgarh (Rajasthan), Contact: +91 88299 42088, Email: [email protected], Corporate Office Contact; +917891094171, +919407329171, Email' [email protected]

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