प्रतापगढ़ में 3 दिन पहले संथारा की आराधना प्रारंभ करने वाली शतायु आराधिका का महाप्रयाण

प्रतापगढ़। शहर के मुख्य मार्गों से होकर निकली महाप्रयाण यात्रा में बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी शामिल हुए। बैंड बाजों के साथ निकली इस महाप्रयाण यात्रा में श्रद्धालु भगवान के जयकारे लगा रहे थे। वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के अध्यक्ष अंबालाल चंडालिया ने बताया कि 101 वर्षीय जैन श्राविका मिश्री बाई रांका का संथारा मनोरथ पूर्ण होने पर उनके निवास स्थान नई आबादी से चकडोल यात्रा निकाली गई। बैंड बाजों और जयकारों के साथ निकाली गई चकडोल यात्रा में बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी शामिल हुए। इस दौरान धार्मिक क्रियाएं भी संपन्न हुई। चकडोल यात्रा शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए मुक्तिधाम पहुंची जहां पर गुणानुवाद सभा का आयोजन हुआ। गुणानुवाद सभा में साधुमार्गी जैन संघ, शंखेश्वर पार्श्वनाथ ट्रस्ट मंडल ,वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ सहित कई संगठनों की ओर से संथारा मनोरथ पूर्ण होने पर अनुमोदना की गई। चंडालिया ने बताया कि 20 जनवरी को मिश्रीबाई ने जैन साध्वी सुमनप्रभा से संथारे के प्रत्याख्यान ग्रहण किए थे ।स्वेच्छा से अन्न जल को छोड़ कर देह को त्यागने की परंपरा को जैन धर्म में संथारा कहा जाता है। 3 दिनों तक चले संथारे की आराधना के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मिश्रीबाई के तप की अनुमोदना और दर्शनों के लिए पहुंचे। जैन धर्म में संथारे को तीसरा मनोरथ बताया गया है।