प्रदेश के बजट ने कर्मचारियों को किया निराश, आंदोलन की रणनीति के लिए कर्मचारी महासंघ ने बुलाई 13 फरवरी को महा समिति की बैठक

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल के आखिरी बजट से कर्मचारियों को जितनी आशाएं थी। उसके विपरीत बजट में कर्मचारियों को कोई विशेष लाभ नहीं मिला है। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने इसे कर्मचारी विरोधी बजट बताया है। उन्होंने आगे की रणनीति तय करने के लिए 13 फरवरी, सोमवार को प्रदेश महा समिति की जयपुर में एक आवश्यक बैठक आमंत्रित की है।
राठौड़ ने कहा कि बजट से पूर्व मुख्यमंत्री ने जिस उत्साह के साथ कर्मचारी संगठनों के साथ संवाद किया था। उससे लग रहा था कि मुख्यमंत्री कर्मचारियों की मांगों को लेकर काफी संवेदनशील हैं। लेकिन बजट पेश करने के बाद सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि बजट में कर्मचारियों की अनदेखी करके सरकार ने कर्मचारी संगठनों को खुली चुनौती दी है। जिसका परिणाम उसे आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा।
राठौड़ ने बताया कि प्रमुख मांगों में –
(1) वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए गठित सामंत कमेटी और खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करना।
(2) चयनित वेतनमान (एसीपी) का लाभ 9,18 व 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24 व 32 वर्ष पर पदोन्नति पद के समान देना।
(3) ग्रेड पे 2400 व 2800 के लिए बनाए गए पे- लेबिल को समाप्त कर केंद्र के अनुरूप पे मैट्रिक्स क्रमशः 25500 – 81100 एवं 29200 – 92300 निर्धारित करना।
(4) मंत्रालयिक कर्मचारियों को सचिवालय कर्मचारियों के समान पदोन्नति लाभ देना।
(5) कांग्रेस के घोषणा पत्र-2018 के अनुरूप जनता जल योजना कर्मी, होमगार्ड, आंगनबाड़ी कर्मियों, सीसीडीयू एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अंशकालीन रसोईये व चौकीदार, संविदा कर्मियों, एनआरएचएम एवं एनयूएचएम कर्मियों, पैरा टीचर्स, उर्दू पैरा टीचर्स, लोक जुंबिश कर्मियों, शिक्षाकर्मियों, विद्यार्थी मित्रों पंचायत सहायकों, प्रेरक, वनमित्र, कृषि मित्र, चिकित्सा कर्मी, एंबुलेंस कर्मचारी, कंप्यूटर ऑपरेटर, संविदा फार्मासिस्ट, मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना में लगाए गए लैब टेक्नीशियन एवं लैब अटेंडेंट, आईटीआई संविदा कर्मी एवं पशुपालन विभाग के पशुधन सहायक आदि सभी अस्थाई कर्मचारियों को नियमित करना।
(6) कर्मचारियों के लिए स्पष्ट एवं पारदर्शी स्थानांतरण नीति बनाना।
(7) ग्रामीण भत्ता 10% स्वीकृत करना।
(8) केंद्र के अनुरूप राज्य में एमटीएस का पद सृजित करना।
(9) दो से अधिक संतान होने के कारण पदोन्नति से 5 वर्ष /3 वर्ष वंचित किए जा चुके राज्य कर्मचारियों को उनकी पदोन्नति उपरांत मूल वरिष्ठता प्रदान करना।
(10) अर्जित अवकाश की सीमा 300 दिवस से बढ़ाकर सेवानिवृत्ति तक जोड़ना।
(11) पेंशनर्स को पेंशन वृद्धि का लाभ 80 वर्ष पर 20% देने के स्थान पर 65, 70,75 व 80 वर्ष पर क्रमशः 5- 5% वेतन वृद्धि स्वीकृत करना आदि शामिल है।