भागवत कथा मे श्रीकृष्ण रूक्मणी विवाह पर पाण्डल मे बेठे भक्तजन झुम उठे |


भागवत कथा मे श्रीकृष्ण रूक्मणी विवाह पर पाण्डल मे बेठे भक्तजन झुम उठे
प्रतापगढ़ जिले के अरनोद कस्बें के गौतमेश्वर रोड स्थित संगम पैलेस में सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन स्वर्गीय श्री मदनलाल जोशी व श्री मति कौशल्या पुत्र श्री महेश जोशी के पुण्य स्मृति मे राजेन्द्र जोशी परिवार द्धारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन स्वामी निर्मल चैतन्य पुरी महाराज नर्मदा तट मध्यप्रदेश के मुखारविन्द द्वारा श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का आयोजन हुआ, जिसे बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन श्री महाराज ने रास पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना व रुकमणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। भारी संख्या में भक्तगण दर्शन हेतु शामिल हुए आज पूरा प्रांगण श्रद्धालुओं से पूर्णरूपेण भरा था और सभी पुष्प वर्षा के साथ खूब झूम और नाच कर रहे थे। कथा के दौरान महाराज श्री ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया। महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। भागवत कथा के छठवें दिन कथा स्थल पर रूकमणी विवाहउत्सव के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष�