भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने जल जंगल जमीन बचाने को राज्यपाल व राष्ट्रपति के नाम प्रतापगढ़ जिला कलेक्टर को दिया ज्ञापन

प्रतापगढ़।अनुसूचित क्षेत्र राजस्थान राज्य के प्रतापगढ़ के दलोट ब्लॉक के रायपुर के पास केशरपुरा, गौवाली और तालाब खेडा गाँव के आदिवासियों की लगभग 450 बीघा, वर्षो से काबिज (शुरू से काबिज) भूमि पर मालिकाना हक़ दिलवाने एवं दबंगी मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को जिम्मेदार कर्मचारी(पटवारी, गिरदावर, तहसीलदार, उपखंड अधिकारी) द्वारा संविधान के अनुच्छेद 244(1) के प्रावधान, राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1955 के सेक्शन 42 आदि का उल्लंघन करते हुए असंवैधानिक तरीके से हस्तांतरित भूमि पर अतिशीघ्र रोक लगाने तथा संविधान, सुप्रीम कोर्ट आदेश कानून उल्लंघन पर तुरंत संवेधानिक कार्रवाई करने के लिए आदिवासियों ने दिया ज्ञापन।
गांव केसरपुरा,गौवाली और तालाब खेडा गांव सविधान के अनुच्छेद 244(1) अनुसूचित क्षेत्र है संविधान के अनुच्छेद 244(1) के प्रावधान अर्थात पांचवी अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्र यानी अनुसूचित क्षेत्र को शासन और नियंत्रण प्राप्त है । अनुसूचित क्षेत्र भाग ख राज्य आदेश 1950 तथा राजस्थान अनुसूचित क्षेत्र आदेश 1981 के तहत राजस्थान को अनुसूची 5 में रखा गया है!
दलोट ब्लॉक के रायपुर के पास गोवाली,केशरपुरा.तालाब खेडा गांव के आदिवासी लोगों की करीब 450 बीघा शुरू से काबिज पुश्तैनी जमीन अनुसूचित क्षेत्र की तमाम संवैधानिक नियमावली को लांघते हुए शासन/प्रशासन ने नागदा के एक मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति के नाम हस्तांतरित कर दी गई है।। उसके विरोध में कोर्ट की शरण लेने हेतु एक वकील अर्जुन वैष्णव को भी किया गया एवं केस समाधान हेतु उसको 90,000 की राशि भी दे दी गई। परंतु वह भी उस दबंगी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा खरीद लिया गया! साथ ही आदिवासियों की जमीन छीनने के लिए असामाजिक तत्व के कुछ मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों का सहयोग लेना चालू कर दिया है। अनुच्छेद 244(1) अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि का अधिकार आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) को है, अनुच्छेद 13(3) के तहत उनकी रूढ़िगत ग्राम सभाओं को है। संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के प्रावधान यानी पांचवी अनुसूची के पैराग्राफ 5(2) (a,b) के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में स्थित अनुसूचित जनजातियों की भूमि का संरक्षण और आवंटन, साथ ही साथ अनुसूचित क्षेत्रों में पुराने विद्यमान विधि(existing law) के अनुसार भूमि का संरक्षण का अधिकार प्राप्त है। संविधान की पांचवी अनुसूची पर उच्चतम न्यायालय के समता जजमेंट 1997 में राज्यपाल तथा संबंधित व्यूरोक्रेट्स के कार्य समझाया गया है। जिसमें लिखित है कि अनुसूचित जनजाति को उनकी भूमि से बेदखल होने से बचाने हेतु विनियम बनाया जाना चाहिए, जिसमें क्रमशः अनुसूचित जनजाति के लिए बने राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1955 के सेक्शन 42 ख के शर्तो के उल्लंघन मे किया गया विक्रय,दान, वसीयत शुन्य माना जाए! वैसे भी सुप्रीम कोर्ट के समता बनाम आंध्र प्रदेश 11 जुलाई 1997 संविधान के अनुच्छेद 244(1) के प्रावधान यानी पांचवी अनुसूची के पैराग्राफ 5(2)(a,b),सुप्रीम कोर्ट का पी रम्मी रेड्डी 1988,जिसके अनुसार अनुसूचित जनजाति की भूमि अनुसूचित जनजाति को ही विक्रय,दान,वसीयत की जाएगी, पर गैर-अनुसूचित जनजाति की भूमि संबंधित क्षेत्र में है,वो भी अनुसूचित जनजाति को ही विक्रय,दान,वसीयत होगी। राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1955 के सेक्शन 42 ख से थोड़ा अलग है। जैसा कि समता बनाम आंध्र प्रदेश 11 जुलाई 1997 में लिखित है।
अनुसूचित जनजाति के लिए बने राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1955 के सेक्शन 42 ख के अनुसार विक्रय, दान,वसीयत पर प्रतिबन्ध-धारा 42(ख) के अनुसार कोई भी खातेदार, काश्तकार यदि-
१. अनुसूचित जनजाति का सदस्य है तो वह अनुसूचित जनजाति को ही
विक्रय,दान या वसीयत कर सकता है।
उपरोक्त शर्तो के उलंघन मे किया गया विक्रय,दान,वसीयत शुन्य माना गया है। अतः ऐसी भूमि अनुसूचित जनजाति के भूमि मालिकों से छीन कर अन्य जातियों को मिलीभगत कर जिम्मेदार कर्मचारियों के द्वारा हस्तांतरित किया जा रहा हैं जो कि संविधान का उल्लंघन है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के सेक्शन 41,42 के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति की भूमि बिना रूढ़िगत ग्रामसभा की अनुमति के अधिग्रहण नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट समता बनाम आंध्र प्रदेश 11 जुलाई 1997 के जजमेंट में लिखित है कि 5 वीं अनुसूची का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जनजाति ( आदिवासियों) के स्वशासन,रीति-रिवाज, परंपरा को सुरक्षित रखना है। आदिवासी समाज का अनुरोध है कि राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1955 तो अनुसूचित क्षेत्र में लागू है ही, पर पांचवी अनुसूची और पांचवी अनुसूची के प्रावधान पर आधारित सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को ध्यान में रखते हुए प्रशासन पर नियंत्रण करते हुए आगे मांग की जाती है, की जिम्मेदार कर्मचारियों को तत्काल आदिवासी भूमि तथा अनुसूचित जनजातियों के रूढिगत ग्राम सभाओं की भूमि को उनके हवाले करने की तत्काल आदेश जिम्मेदार कर्मचारियों को दें।
अनुसूचित जनजातियों की भूमि पांचवी अनुसूची संरक्षित क्षेत्रों में जिस प्रकार से संविधान और कानून का उल्लंघन करके अन्य जाति समुदाय,कंपनियों, धार्मिक संस्थानों को धड़ल्ले से दी गई है। जिसे तत्काल ही जांच बैठा कर पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में स्थित ऐसे अन्य समुदाय के व्यापार,रोजगार,धार्मिक ट्रस्ट तथा कंपनियों का 20% लाभ का प्रतिशत,खनन,प्रोजेक्ट, बांध,तालाब,नदियों का जल अनुसूचित क्षेत्र के अनुसूचित जनजातियों को देने का भी आदेश करें। संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के शासन और नियंत्रण का प्रावधान अर्थात पांचवी अनुसूची का प्रावधान के तहत पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में स्थित कंपनियों का 20% लाभ का प्रतिशत,खनन,प्रोजेक्ट,बांध,तालाब,नदियो का जल अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजातियों को देने का प्रावधान है,जिस पर सुप्रीम कोर्ट का समता बनाम आंध्र प्रदेश 11 जुलाई 1997 का जजमेंट आया था।
अनुसूचित क्षेत्रों में किसी गैर-अनुसूचित जनजाति को भूमि आवंटन,विक्रय असंवैधानिक है साथ ही साथ उस भूमि पर गैर-आदिवासी, गैर-अनुसूचित जनजाति का ऐसा व्यापार भी वर्जित है, जो स्थानीय आदिवासियों की बोली,संस्कृति,रीति-रिवाज,परम्पराओ को नुक्सान पहुँचाता हो,परंतु सुप्रीम कोर्ट का समता बनाम आंध्र प्रदेश 11 जुलाई 1997 का जजमेंट आया था जिसमें अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी व्यापार रोजगार के लिए स्थित कंपनियों के लाभ का 20 % स्थानीय अनुसूचित जनजातियों को देने का प्रावधान है। बावजूद उसके कंपनियां और सरकार है इस शर्त को पूरा नहीं कर रही है। पांचवी अनुसूची के तहत प्राप्त विशेष अधिकार स्वविवेक की शक्ति के तहत रेगुलेशन बनाकर पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में स्थित बांधों,तालाबों और नदियों का पानी क्रमशः स्थानीय अनुसूचित जनजातियों हेतु उपलब्ध कराया जाए। चुंकि प्रचुर मात्रा में जल संसाधन उत्पन्न होने के बावजूद भी इन अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजातियों को जल संसाधन की उपलब्धता से वंचित कराया गया है तथा जल की समस्या इन क्षेत्रों में है। साथ ही साथ पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में स्थित कंपनियों के लाभ का 20 % तथा अनुसूचित क्षेत्र के किसी भी खनन प्रोजेक्ट को अनुसूचित जनजाति को ही देने का आदेश जिम्मेदार कर्मचारियों को दें!
पत्र के माध्यम से आदिवासियों ने उम्मीद जताई है कि प्रतापगढ़ जिले के अनुसूचित जनजाति के साथ लम्बे समय से होने वाले अन्याय,अत्याचारों से हमें मुक्ति दिलाकर केशरपुरा,गौवाली तथा तालाब खेडा तहसील दलोट,जिला-प्रतापगढ़(राज.) कि संबंधित जमीन पर अनुसूचित जनजातियों को मालिकाना हक़ दिलवाएँगे एवं आर्टिकल 13 (३) क के तहत अनुसूचित जनजातियों को रूढिगत ग्राम सभाओं को सम्पूर्ण अधिकार सुनिश्चित करवाने को सौंपा गया ज्ञापन।