भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा का धावड़ा में आदिवासी चिंतन शिविर हुआ संपन्न

प्रतापगढ़। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के प्रदेश महासचिव रमेश निनामा ने बताया कि मगरी पंचायत के धावड़ा गांव में आदिवासी हक अधिकारों एवं अपनी संस्कृति बचाने के लिए एक दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया गया। मगरी पंचायत के सरपंच मांगीलाल,जोहार मेडिकल के पवन निनामा एवं गांव के गड्ढा गमेतियों द्वारा बिरसा मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर चिंतन शिविर की शुरुआत किया गया।
भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक मांगीलाल निनामा ने बताया कि आदिवासियों की अपनी बोली भाषा संस्कृति रीति रिवाज से ही आरक्षण बचाया जा सकता है अगर हम गैर संस्कृति को अपना लेंगे तो हमारी मूल संस्कृति खत्म हो जाएगी इसलिए हमें हमारी संस्कृति को बचाना है। रंगलाल मईडा ने समान नागरिक संहिता से अनुसूचित क्षेत्र के कानूनों पर दुष्प्रभाव व ग्रामसभा के तहत अपने गांव का विकास हुआ जल जंगल जमीन को सुरक्षित रखने के बारे में बताया। अनिल बुज ने आदिवासियों मेँ फूट डालने वालों से सावधान रहने के लिए कहा। रमेश मईडा ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से समुदाय को वर्तमान परिपेक्ष में अपने आप को ऊंचा उठाने हेतु प्रयास करना चाहिए। शानू हाडा ने आदिवासियों केसाथ हो रहे अन्याय और शोषण के बारे में बताया।
प्रकाश बरगोट ने जोहार उद्बोधन शब्द के बारे में बताया।शांतिलाल डिंडोर ने बताया की आदिवासियों में चेतना के लिए चिंतन शिविर जरूरी है। राजेश डिंडोर ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम 2006 आने के बाद भी आदिवासियों को अपना हक नहीं मिल रहा है वन विभाग मनमर्जी कर रहा है। शांतिलाल मईडा ने कहा कि वर्तमान सरकार आदिवासी कर्मचारियों का षडयंत्र पूर्वक ट्रांसफर करा रही है। किशन अहारी ने कहा आदिवासी समाज को शिक्षित होना होगा तथा अपने बच्चों को विद्यालय से जोड़ना होगा। शंभू लाल ने जन आंदोलन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए भी अपील की एवं कार्यक्रम में उपस्थित सभी भाइयों बहनों का आभार व्यक्त किया।गणवीरों ने चिंतन शिविर का प्रबंधन पूरे अनुशासन के साथ किया कार्यक्रम का संचालन कारूलाल ने किया।