भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने बेणका टापू पर अनाधिकृत रूप से कब्जा करने वालों के खिलाफ मुख्यमंत्री राजस्थान के नाम पूरे प्रतापगढ़ जिले में दिया

प्रतापगढ़। भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा के जिला संयोजक देवीलाल खड़ा ने बताया कि माही नदी घाटी में अनादिकाल से रहवासी भीलवंश के माघ पूर्णिमा पर मन्नारे-मन्नारी फूल (बाल, नाखून,अस्थि) विसर्जन स्थली बेणका टापू का ब्राह्मणीकरण रोकने व वर्णी लोगों का पितृ तर्पण स्थल गंगा नदी घाट देशभर में रहा है, जबकि भीलवंश सहित आदिवासी समुदाय अपने आसपास नदी बेळ स्थानक (नदी संगम) पर अनादिकाल से वर्षभर मरे पुरखों (मन्नारी-मन्नारे) का फूल विसर्जन करते आए हैं!माही नदी घाटी का भीलवंश बेणका टापू पर हजारों साल से माघ पूर्णिमा को फूल विसर्जन करता आया है! मावजी महाराज के जमाने से वर्णी लोगों और भीलवंश के बीच बेणका टापू को लेकर अनवरत संघर्ष जारी है।
अंग्रेजों के जमाने में भी आदिवासी बनाम गैर आदिवासी संघर्ष हो चुका है। राजनीतिक दलों के नेताओं के संरक्षण में वर्णी लोग आदिवासियों पर अंतिम विजय हासिल करना चाहते हैं। वर्तमान पीढ़ी पुरखों के वंशज होने के नाते उनकी अधूरी लड़ाई आज भी जारी रखे हुए हैं! ट्राइबल एम्प्लाइज फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष दिनेश खानन का ताजा विरोध इसी पुरखाई विचार के तहत हैं!कुछ पीड़ित लोगों के कहने पर कि जबरन धर्म कर्म के नाम पर वसूली पंडो द्वारा करने की सूचना पर स्थानीय होने के नाते दिनेश खानन पहुँचे और सच्चाई देखकर समझाने का प्रयास किया, इसी बीच पंडो ने राजनीतिक संरक्षण के चलते धौंस दिखाई इस वजह विवाद बढ़ गया। मनुवादी संगठन और राजनीतिक लोग ज्ञापन देकर कानूनी कार्यवाही का दबाव बना रहे हैं, जो कि सरासर गलत है, हमारे सम्मानित शिक्षक के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी भी एक मनुवादी ने वीडियो में क़ी हैं। शासन प्रशासन से ज्ञापन के मार्फत से विनम्र अनुरोध है कि माघ पूर्णिमा के अवसर पर “बेणका टापू घाट पंडा मुक्त क्षेत्र” घोषित किया जाए और आदिवासी पुरखाई मूल सांस्कृतिक विरासत अनुसार फूल विसर्जन की परंपरा जारी रखने की व्यवस्था प्रशासन जारी रखवाए, ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित हो।अन्यथा पूरे उदयपुर संभाग में आंदोलन खड़ा होगा, जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। इसी कड़ी में पूरे प्रतापगढ़ जिले में सभी उपखंड कार्यालय एवं तहसील कार्यालय पर ज्ञापन दिया गया जिसमें भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा के पदाधिकारियों के अलावा आदिवासी परिवार के गणवीर मौजूद रहे।