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राजनीतिक विश्लेषक :- सीए गुणवन्त लाल शर्मा का बड़ा बयान स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति कारी परिवर्तन हे जरूरी। | The News Day

निम्बाहेड़ा
कोविड के बढ़ते मामलों को ओर तीसरी लहर की गति से ये बात तो तय है कि स्वस्थ भारत ही विकास की नीव है ।जो व्यक्ति समाज राज्य देश महामारी का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ेगा वहीं जीडीपी में सबसे आगे होगा। इस बजट में उम्मीद है कि वित्त मंत्री न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए ज्यादा आबंटन करेगी बल्कि कराधान नियमों का संशोधन करेगी । स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या होना चाहिए ‌। 1 सरकारी अस्पताल की केपेसीटी ओर फेसीलीटी बढाना चाहीए। सरकारी अस्पतालों के समक्ष खडा करने का प्रयास करना होगा। जिले में राजकीय अस्पताल जनसंख्या एवम औद्योगिक विकास शिक्षण संस्थानों का हब बढ़ती हुई स्वास्थ्य परेशानी को देखते हुए वर्तमान सुविधाएं पर्याप्त नही है । सरकार को इन सीमेंट उद्योग से बढ़ते प्रदुषण सीमेंट ट्रांसपोर्ट की वजह से आए दिन होने वाली दूरघटनाए श्वास के साथ जाने वाली सीमेंट डस्ट आस-पास का प्रदुषित पानी को देखते हुए आम जन के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। सरकार का यह नेतिक दायित्व है कि शिक्षा स्वास्थ्य बीजली पानी सडक की आम जन को आधार भुत सुविधाएं उपलब्ध कराये। इसके लिए अभी चिततोडगडढ जिले में बहुत कुछ करने की ज़रुरत है।
2 चितोडगढ में मेडीकल कालेज खुले , डॉक्टरों की संख्या में ईजाफा हो ,आसानी से जो मेडीकल फील्ड में आना चाहते हैं उसे एडमीशन उपलब्ध हो थ्योरी की बजाय प्रेक्टिकल पर ज्यादा ध्यान दे । जो मेडीकल सुविधा अहमदाबाद उदयपुर एम्स में मील सकती है तो यहां उपलब्ध क्यों नहीं हो सकती है । हम प्रायः देखते हैं कि जो भी जनप्रतिनिधि यहा आये है केवल केवल आमजन के बजाय निजी एवम अपने व्यक्तिगत हितों पर केवल अपनी राजनीति व अपनी सांसदी या विधायकी पद पर रहने के लिए ही आतुर देखे गए। इनके पास में क्षेत्र की जनता युवाओं के लिए कोई ठोस रणनीति जो शिक्षा स्वास्थ्य पानी रोजगार के लिए अवसर पेदा करने की होनी चाहिए वह नही है । मेने देखा कि हमारे जनप्रतिनिधियों ने आज दिन तक कभी संसद में या विधानसभा में कभी जनता के हित केलिए जनता के लिए कभी आवाज नहीं उठाई । इन जनप्रतिनिधियों को सांसद विधायक को ईतना तो समय हे कि अपनी लोकप्रियता एवम सोशल मीडिया पर आए दिन चार चार पांच पांच घण्टे एवम पुरा दिन एसे कामो के लिए जिनसे ईनका व्यक्तिगत स्वार्थ पुरा होता है पुरा दिन जाया कर सकते हैं लेकीन आम जनता की समस्याओं शीक्षा स्वास्थ्य बीजली पानी सडक रोजगार साफ सफाई स्वच्छता पर ध्यान नही है । मेने इन सांसद विधायक को अभी से यह तो चिन्ता है कि आगामी विधानसभा में मुझे टिकिट मिलेगा या नहीं ।अभी से ज्योतिष और जानकारों से अपने ग्रह नक्षत्र की जानकारी लेकर पुजा पाठ करवाने में तो समय हे लेकिन क्षेत्र की आम जनता पर क्या गुजर रही है । कोई चिन्ता नहीं है। 3। सरकारी मेडीकल स्टोर और पेथोलोजी। आज सबसे ज्यादा दवाईयों ओर जांचों में लुटा जाता है। इसलिए सरकारी एजेनसीयो द्वारा दवाईयां की दुकानों और पथोलिजी लेब की ज्यादा से ज्यादा हर शहर व कस्बे में स्थापना होनी चाहिए ताकि ईलाज व्यवस्था को सरल एवम सस्ता किया जा सके। हमने देखा है कि अधिकतर नीजी चिकतसालय युनिवर्सिटी कालेज बड़े बड़े राजनेताओं द्वारा ही स्थापित है । सभी जगह आम जनता को लुटने के अलावा कुछ भी नहीं किया जा रहा है । सरकारी अस्पताल को के वल रेफ़रल हासपीटल बना रखें है । 90%डिलीवरी नार्मल होने के बावजुद सीजेरियन कर दी जाती है । निजी अस्पतालों ने सेवा की बजाय लूट का अड्डा बना रखा है ।
4 अस्पतालों को आय-कर मुक्त किया जाए। संस्था सोसायटी कापरेटिव सोसायटी ट्रस्ट या कम्पनी अधिनियम की धारा 8मे स्थापित सभी अस्पतालों को आयकर मुक्त किया जाए । गांवों कस्बों और छोटे शहरों में अस्पताल खोलने पर सब्सिडी की सुविधा उपलब्ध हो। कोशिश यह करनी चाहिए कि स्वास्थ्य क्षेत्र व्यवसाय का अड्डा बनने की बजाय सेवा एवम् सामाजिक कार्य बने । सरकारी अस्पताल में डाक्टर ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो उनके लिए आय-कर में अलग से छुट दी जाए । 5 मुफ्त वेक्सीनेशन हो जन्म से लेकर मृत्यु तक जो भी वेक्सीनेशन होने हो उसकी उपलब्धता सरकारी की तरफ़ से मुफ्त सलाह ताकि कोई भी व्यक्ति वेक्सीन लेने से न छूटे।
6 मेडीकल इंस्योरेंस सरकार की तरफ से हो । महामारी के समय बहुत सी निजी बीमा कम्पनियों ने क्लेम देने से मना कर दिया आनाकानी की है साफ है कि सरकारी एजेंसी का होना जरूरी है जो आम आदमी की जरूरत समझ सके। 7खुद पर किए गए मेड़िकल खर्च की मीले आय-कर में छूट । पिछले बजट में एक संशोधन किया गया था कि किसी व्यक्ति द्वारा इलाज के खर्च को व्यापारीक खर्च माना जाएगा लेकिन खुद वहन किए ग ए खर्च पर कोई छुट नही है। साफ है कि स्वास्थ्य क्षेत्र को सरकार द्वारा अपने अधिन लिए बिना इसमें कोई भी क्रान्तिकारी परिवर्तन नहीं होसकता है ।यह समय की मांग है । आम आदमी मध्यम वर्ग की जरूरत है । मंहगाई की मार से कराह रही आम जनता को सस्ता इलाज उपलब्ध करवाना सामाजिक ज़रूरत है और सरकार की इन जनप्रतिनिधियों की सामुहिक जिम्मेदारी है ‌ ।

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