अम्बा पंचायतः रोजगार सहायक ने किया बड़ा गबन, मजदूरी डकार निर्मल नीर में 3 साल से अधूरा छोड़ा काम, विभागीय कार्रवाई पर पड़ी सत्ता की चादर
मजदूरी का भुगतान अपने ही हितेशीयों के खाते में कर गबन किया गया !

अम्बा पंचायतः रोजगार सहायक ने किया बड़ा गबन, मजदूरी डकार निर्मल नीर में 3 साल से अधूरा छोड़ा काम, विभागीय कार्रवाई पर पड़ी सत्ता की चादर
नीमच, सींगोली। जिले की जावद जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत अम्बा में रोजगार सहायक ने राजस्व को अच्छा खासा पलीता लगा कर आमजन को मूलभूत आवष्यक्ता से गत 3 वर्शों से वंचित रख रखा है। निर्मल नीर कुप अंतर्गत वर्श 2020 में कुंआ बनाकर आमजन को लाभ पहुंचाना था, लेकिन मजदूरी का भुगतान अपने ही हितेशीयों के खाते में कर गबन किया गया है, इस कारण 3 सालों से यह काम अधूरा है। मामले में षिकायत होने के बाद भी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
बताया जाता है कि रोजगार सहायक राजनीति में भी अच्छा दबदबा रखता है इसी वजह से अभी तक इस पर विभाग ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं कि है, लेकिन चुनावी साल होने की वजह से हो सकता है कि ‘‘चौथा समय इनसाइड‘‘ की इस ख़बर का असर लालफिताषाही व ब्यूरोकेट्स पर हो और रोजगार सहायक पर नियमानुसार कार्रवाई कि जाए। आइए आपको बताते है पुरे मामले में हमारे द्वारा इकट्ठी की गई अधिक से अधिक जानकारी।
वैसे तो प्रदेष हो या देष रोज कहीं ना कहीं से पंचायतो में हो रहे भ्रश्टाचार की खबरे मिल ही जाती रही है। गौरतलब है कि विगत वर्श ईओडब्ल्यू ने मंदसौर जिले में दलोदा निवासी पंचायत सचिव दिनेष षर्मा के घर छापा मारा था जिसमें करोड़ो रूपए नगद मिले थे, ऐसा ही कुछ नीमच जिले का भी हाल है। प्रदेष स्तर पर भले ही सचिव, सरपंच, रोजगार सहायक कितने ही आंदोलन कर ले लेकिन सरकार भी इनकी रग-रग से वाकिफ है।
क्या है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी अनुसार वर्श 2020 निर्मल नीर योजना के तहत कुआ बनना था जो मनरेगा की योजना थी और यह योजना लगभग चार से पॉच लाख रूपए लागत की थी, जिसको आज दिनांक तक पूरे तीन वर्श गुजर जाने के बाद भी पूर्ण नहीं किया गया है। दरअसल इस कार्य में रोजगार सहायक ने सरकारी पैसे को अपनी निजी सम्पत्ति समझ कर हितेशियों के खाते से आहरण किया है, जो खुला भश्टाचार है।
उक्त योजना में क्योंकि मनरेगा में काम होना था तो इसका पूरा जिम्मा रोजगार सहायक का बनता था। गोरूलाल नामक श्रमिक को इसका काम दिया गया जिसने अपने सहयोगी मजदूरों के साथा कार्य प्रारंम्भ किया। परिश्रमिक के नाम पर रोजगार सहायक राषि आहरण करता रहा लेकिन गोरूलाल को नाम मात्र मजदूरी देता था।
उक्त मामले में लगभग रोजगार सहायक ने 1 लाख 88 हज़ार रूपए मजदूरी के नाम पर कुल आहरण किया जिसमें मात्र 75 हज़ार रूपए ही मजदूरी गोरूलाल को दी गई। लेकिन जब काम ज्यादा हुआ और मजदूरी कम मिली तो इसका विरोध गोरूलाल द्वारा किया गया तभी रोजगार सहायक की करतूतों का पता चला और पूरी जानकारी निकाली गई तो मालुम हुआ की भुगतान ज्यादा निकाला गया लेकिन मजदूरी पूरी नहीं दी गई। गोरूलाल व अन्य मजदूर साथियों ने काम बन्द कर अपने औजार भी कार्यस्थल पर ही काम के साथ छोड़ दिए और वह काम आज 3 वर्शों बाद भी अधूरा है, लेकिन विभाग की निंद नहीं खुली या फिर सत्ता बल के तले दबी हुआ है।
मामला भले ही मीडिया में ना आया हो लेकिन तीन वर्शो में समयानुसार धरातल पर कार्य पूर्ण नहीं होना और गोरूलाल की बकाया मजदूरी 1 लाख 13 हज़ार रूपए नहीं मिलने से कोई भी कार्य को करने के लिए तैयार नहीं है। उधर गोरूलाल भी षिकायत पर षिकायत करता रहा और यह षिकायतें विभाग के लिए मुसीबत का पहाड़ बनने लगी साथ ही चौथा समय ने भी जिला स्तर पर अधिकारियों के संज्ञान में मामला लाया गया तो विभाग ने संज्ञान लिया और विभागीय उपयंत्री गोपाल कुमावत जो कई वर्शों से इसी क्षेत्र में पदस्थ है ने लगभग दो माह पूर्व रोजगार सहायक और गोररूलाल के बीच आपसी सहमती बनवाई और तय हुआ कि बाकि की मजदूरी का पैसा रोजगार सहायक दे देगा जिसमें गोरूलाल को तकरीबन 60 हजार रूपए यह कहकर दिलवाए गए की बकाया रकम 15 दिनों में दे दी जाएगी तत्पषचात् कार्य व भुगतान उपयंत्री की निगरानी मे पुनः प्रारंभ कर दिया जाएगा।
गोरूलाल को 60 हजार रूपए तो मिले, लेकिन बकाया रषि 53 हजार आज भी 2 महिने से अधिक का समय निकल जाने के बाद भी नहीं मिली पा रही है। गोरूलाल आज भी अपनी खुन पसीने की कमाई के लिए मारा मारा हाथ मे कागज लिए विभागोें के चक्कर लगा रहा हैं। इस दौरान जिला स्तर से लेकर विभाग के कई अधिकारी व कर्मचारी बदल गए लेकिन मंत्री जी के क्षेत्र का सत्ता बल से किए जा रहा भ्रश्टाचार नहीं बदला। गौरतलब है कि धारड़ी पंचायत में भी रोजगार सहायक ने संबल योजना में जीवित लोगो के नाम पर फर्जी पैसा निकाला था।
ऐसे कई मामले जावद जनपद पंचायत की पंचायतों में भरे पड़े है जिसमें सचिव, सरपंच और रोजगार सहायक अपना हुनर दिखा रहे है। मंत्री जी का विधानसभा क्षेत्र होने से यह अपने आपको उनका नजदीकी बताते भी है और मण्डल के पदाधिकारीयों की खुषामत करके मंत्री जी के नाम से जिला व जनपद स्तर पर अपने काम भी करवा लेते है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है, नहीं तो गोरूलाल अपनी मेहनत की कमाई के लिए दर दर का ना होता और लोग आज 3 सालों से सरकारी सहायता का लाभ उठा रहे होते।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले जावद जनपद अध्यक्ष को 50 हजार रूपए की घूस लेते एसीबी ने रंगे हाथ पकड़ा था जिससे चुनावी साल में पार्टी व मंत्री जी की साख पर बुरा असर पड़ा है। चुनावी साल में पार्टी व मंत्री जी की छवी धूमिल होना काफी हद तक स्थानीय पदाधिकारियों की जवाबदेही एवं जिम्मेदारियों का सही निर्वहन नहीं करने के साथ पद पर ग्रहण लगा सकता है। ठीक इसी तरह रोजगार सहायक भी सत्ताधारियों में अपनी पकड़ व समन्वय के नषे में षासकीय रूपयों को हलवा समझ कर हड़प गया। इसलिए विभाग 3 साल में भी रोजगार सहायक पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सका। इससे प्रमाणित होता है कि किस तरह एक रोजगार सहायक मजदूर की मजदूरी हड़प जाता है, और उसका बाल भी बांका नहीं होता। यह सब सत्ता मे बेठे रसूखदारों की षरण मे ही होता है।
आमजन की मूलभूत आवष्यक्ता को समय पर पूर्ण नहीं किए जाने के जिला स्तर पर विगत 3 वर्शो मे कई बार पंचायतों को आदेषित किया गया। मजदूरी करने वाले मजदूर इस काम को क्यों नहीं कर रहे हैघ् क्यों गोरूलाल षिकायत कर रहा हैघ् क्यों उपयंत्री ने आपसी सहमती करवाईघ् सरपंच ने जनप्रतीनिधि होने का दायित्व क्यों नहीं निभायाघ् क्यों सचिव भी खामोष रहाघ् इन सभी तथ्यों से यह प्रमाणित होता है कि रोजगार सहायक ने षासकीय राषि का फर्जी तरीके से गबन किया है, और विभाग ने गोरूलाल की षिकायतों के बाद भी सत्ता के दबाव मे किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की है।
यह होनी चाहिए थी कार्रवाई
रोजगार सहायक का यह कृत्य मध्यप्रदेष पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा-40, 92 और 1994 की धारा-89 की श्रेणी में आता है, जिसमें अधिनियम अंतर्गत धारा 89 में नोटिस दिया जाकर मामले कि जॉंच विष्वसनीय अधिकारियों से कराई जाकर गबन किए गए रूपयों के अंकक्षेण में दोशी पाए जाने पर धारा-92 के तहत एफआरआई दर्ज करवाई जानी चाहिए थी।
मंत्री जी के नाम संदेष
जावद विधानसभा विधायक एवं मंत्री ओमप्रकाष सकलेचा के पिताजी के समय से ही लगभग भाजपा का दबदबा रहा है और यहां पर किसी दूसरे का काबीज होना बहुमुष्किल है, लेकिन चुनावी वर्श मे जावद जनपद अध्यक्ष का एसीबी के हाथों रिष्वत के मामले में धराना, पंचायतों में भ्रश्टाचार चरम पर होना, पार्टी पदाधिकारियों से समन्वय बनाकर सरकारी रूपए का गबन करने वाले सचिव व रोजगार सहायको की वजह से परेषानियों का सामना करने वाले ग्रामीण चुनाव में अपनी षक्ति का प्रयोग मतदान करके दिखा सकते है, जिससे मंत्री जी को आगामी चुनाव में आमजन में विष्वास जताना मुष्किल हो सकता है। पार्टी के ऐसे मण्डल पदाधिकारियों की भी समीक्षा करनी चाहिए जो ऐसे लोगो को संरक्षण प्रदान कर रहे है।