विद्यारंभ संस्कार बसंत पंचमी शनिवार को होगा ।

छीपाबड़ौद विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा संचालित आदर्श विद्या मंदिर केलखेड़ी छीपाबड़ौद में प्रातः 9:00 पंडित अरविंद शर्मा द्वारा 51 भैया बहनों का भारतीय संस्कृति के अनुरूप विद्यारंभ संस्कार कराया जाएगा । प्रधानाचार्य हरि सिंह गोचर ने जानकारी देते हुए बताया कि मानव को मानव इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि इनके पास बुद्धि और ज्ञान होता है बुद्धि में निखार लाने के लिए हम मानव शिक्षा ग्रहण करते हैं ।शिक्षा से हमारे संस्कार,विचार और सोचने का तरीका बदलता है और हम सुसंस्कारित बनते हैं जिससे समाज और राष्ट्र के विकास में हम सक्रिय रूप से योगदान दे पाते हैं । हमारे शास्त्र बताते हैं कि जब बच्चे शिक्षा ग्रहण करने योग्य हो जाए तब विद्यारंभ संस्कार आयोजित किया जाना चाहिए । इस संस्कार में गुरु बच्चे को पहली बार अक्षर से परिचय कराते हैं इस समारोह के माध्यम से जहां एक और बालक के मन में अध्ययन के प्रति उत्साह पैदा किया जाता है वहीं अभिभावकों, शिक्षकों को भी इनके इस पवित्र और महान दायित्व के प्रति जागरूक कराया जाता है । विद्यारंभ संस्कार में सबसे पहले गणेश जी, गुरु, देवी सरस्वती और पारिवारिक इष्ट की पूजा की जाती है । इन देवी देवताओं का आशीर्वाद लेने के पश्चात गुरु बच्चे को अक्षर ज्ञान कराता है । इस संस्कार में गुरु पूरब की ओर व शिष्य पश्चिम की ओर मुख करके बैठते हैं । संस्कार के अंत में गुरु को वस्त्र, मिठाई एवं दक्षिणा दी जाती है और गुरु बालक को आशीर्वाद देते हैं श्री गणेश को विद्या और सरस्वती को शिक्षा का प्रतीक माना जाता है विद्यारंभ करते हुए पहले कलम हाथ में लेनी पड़ती है । विद्या प्राप्त करने वाले के अंतःकरण में यदि इसके लिए अभी रिच अभिरुचि हो तो प्रगति के समस्त साधन बनते जाते हैं ।