विश्व आदिवासी दिवस पर सुखाड़िया स्टेडियम में हजारों की तादाद में आदिवासी हुए एकत्रित मनाया विश्व आदिवासी दिवस

शहर के हाई सेकेंडरी स्कूल में जिले भर से 60 हजार के करीब आदिवासियों ने बजाया एकता का बिगुल की अपने हक अधिकारों की चर्चा
प्रतापगढ़। यूएनओ द्वारा घोषित विश्व आदिवासी दिवस पर सुखाड़िया स्टेडियम प्रतापगढ़ में आदिवासी परिवार द्वारा विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
इस कार्यक्रम में भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक भील आदिवासी मांगीलाल निनामा ने बताया कि आदिवासी समुदाय देश आजाद होने के बाद से 75 वर्ष हो चुके है इसके बावजूद हमारा भील समुदाय आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक रूप से पिछड़ा हुआ है तथा सांस्कृतिक रूप से अन्य धर्मों के अनुयायी लोगों के द्वारा तमाम संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए नुकसान किया जा रहा है।
5 वी अनुसूची के 244 (1) के पेरा 5 (1) के तहत अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासियों के संस्कृति,रीति – रिवाज व परम्परा का संरक्षण, सामाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु स्वयं समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना चाहिए।
आदिवासी दिवस की सभा में मुख्य मुद्दे इस प्रकार रहे: की UCC एवं वन सरंक्षण अधिनियम 2023 को तुरंत निरस्त किया जाए।
9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए।
मणिपुर के आदिवासियों की सुरक्षा हेतु तुरंत राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए एवं भारत देश के आदिवासियों की जीवन सुरक्षा हेतु स्थाई कानून बनाया जाए। अनुसूचित क्षेत्रों में TAC का गठन संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार ही किया जाए, वर्तमान में इसकी अवहेलना करते हुए मुख्यमंत्री को ही TAC का अध्यक्ष की शक्तियां प्रदान की हुई है,जो संवैधानिक उल्लंघन है। इसमें अविलंब सुधार करते हुए स्वतंत्र इकाई घोषित किया जाए। प्रतापगढ़ जिले में संचालित 325 पवन चक्कियों से उत्पादित बिजली की करोड़ो रुपए में से ही पूरे प्रतापगढ़ जिले के समस्त प्रकार के बिजली कनेक्शन बिल माफ किया जाए या प्रतापगढ़ जिले में असंवैधानिक संचालित पवन चक्कियों को तुरंत हटाया जाए।
राज्यपाल राजस्थान द्वारा जारी 2013 व 2016 की अधिसूचना को पूर्णतः निरस्त करते हुए आर्टिकल 244 (1) की मूल भावना के अनुरूप प्रत्येक क्षेत्र में आरक्षण व्यवस्था अतिशीघ्र लागू की जाए। गैर अनुसूचित क्षेत्र के कर्मचारियों का स्थानांतरण अनुसूचित क्षेत्र से अतिशीघ्र उनके गृह क्षेत्र में किया जाए एवं अनुसूचित क्षेत्र में होने वाले रिक्त पदों पर स्थानीय बेरोजगार युवाओं की भर्ती की जाए। अनुसूचित क्षेत्र के विद्यार्थियों का विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा केंद्र एवं प्रशिक्षण केंद्र अनुसूचित क्षेत्र में ही आवंटित किया जाए। अनुसूचित क्षेत्र में महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया आर्टिकल 244 (1) की मूल भावना के आरक्षण व्यवस्था का पालन करते हुए संपन्न की जाए।
अनुसूचित क्षेत्र में विभिन्न सरकारी भर्तियों में न्यूनतम उतीर्णक नियमावली की पाबंदी तुरंत समाप्त की जाए एवं प्रत्येक भर्ती जिलेवार संपन्न की जाए।
अनुसूचित क्षेत्र में बने हुए बांधों का पानी पीने एवं सिंचाई कार्य कार्य के लिए स्थानीय लोगों के लिए प्रावधान किए जाएं।
अनुसूचित क्षेत्र में असंवैधानिक तरीके से हड़पी गई आदिवासियों की जमीन का असंवैधानिक नामांतरण तुरंत निरस्त किया जाए।
अनुसूचित क्षेत्र अंग्रेजी शराब विहीन इलाका घोषित किया जाए।
फर्जी मुकदमों को वापिस लिया जाए।
प्रतापगढ़ नगरपरिषद दायरे में आदिवासी समुदाय द्वारा विश्व आदिवासी दिवस पर 2018 में घोषित राणा पूंजा भील चौराहा, बिरसा मुंडा चौराहा, जयपालसिंह मुंडा चौराहा, टंट्या भील चौराहा, बाबरिया भील वुडलैंड पार्क को स्थाई मान्यता देकर राजकीय संरक्षण प्रदान किया जाए।
कार्तिक भील (सिरोही), संतोष भील (रामपुरिया,प्रतापगढ़), इंद्र मेघवाल( जालोर ), पूजा भील (मावली), तरपाल गांव,ब्लॉक सायरा की वृद्ध महिला आदि घटनाओं में राजस्थान सरकार द्वारा न्याय देने में भेदभाव किया गया जिसमें पीड़ित परिवार को अन्य समुदाय की तर्ज पर ना ही नौकरी दी गई व ना ही किसी प्रकार आर्थिक मुआवजा दिया गया।
विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ता रमेश मईड़ा, किशन अहारी, जीवन निनामा, रंगलाल मईड़ा, कालू लाल, मोहन निनामा ,रमेश निनामा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए एवं गायक कलाकार राजेश निनामा द्वारा आदिवासी गीतों पर जोरदार प्रस्तुतियां दी गई इसके साथ ही स्थानीय आदिवासी कलाकारों द्वारा जबरदस्त सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रम के अंत में आदिवासी गैर नृत्य का कार्यक्रम रखा गया जो कि बहुत ही आकर्षण का केंद्र रहा। आदिवासी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आदिवासी समुदाय के लोग भारी संख्या में पैदल ही अपने गंतव्य तक पहुंच रहे थे पुलिस प्रशासन ने भी अपनी जिम्मेदारी पूरी मुस्तैदी के साथ निभाईं शहर में जगह जगह सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था के साथ आवागमन को लेकर प्रशासन मुस्तैद रहा। शहर के बस स्टैंड एवं चौराहों पर भारी यातायात को देखते हुए बांसवाड़ा रोड़ , चित्तौड़गढ़ रोड़ पर ही बड़े वाहनों को रोक दिया गया था।