वीर कालीबाई कलासुआ का 76वा बलिदान दिवस, कालीबाई शिक्षा की ज्योति : रमेश मईडा

प्रतापगढ़ । शिक्षा की देवी, राजस्थान में साक्षरता की देवी कहि जाने वाली भील जिन्हें रास्तापाल घटना के साथ याद किया जाता है, गौरतलब है कि आजादी से दो माह पूर्व यानी कि 19 जून 1947 की घटना का जिक्र किया जाता है। घटना डूंगरपुर जिले की सीमलवाड़ा तहसील के रास्तापाल गाँव की भील बालिका कालीबाई कलासुआ की है जिन्हें शिक्षा के लिए 13 वर्ष की उम्र में अपने गुरु सेंगाभाई व नानाभाई खांट को बचाने के लिए बलिदान देना पड़ा। उनकी याद में प्रतापगढ़ शहर में संचालित वीरबाला कालीबाई भील कोचिंग क्लासेज ने 76 वां बलिदान दिवस मनाया। इस अवसर पर उपस्थित मुख्य वक्ता के रूप में भीलप्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक भील आदिवासी मांगीलाल निनामा ने छात्रों को जीवनी व अपने कैरियर के प्रति जागरूक और समाज के विभिन्न विषयों की जानकारी दी, इसी बीच उपस्थित भीलप्रदेश मुक्ति मोर्चा के प्रदेश सचिव रमेश मईड़ा ने अपने कैरियर के प्रति जागरूक करने, व सोशल मीडिया से दूर रहने की जानकारी दी साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं परीक्षाओं व अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने का मार्गदर्शन दिया। साथ ही उपस्थित नर्सिंग ऑफिसर व द एलाइट इंग्लिश स्पोकन इंस्टीट्यूट की संरक्षिका श्यामा बुज ने अपने जीवन के संघर्षों व अपने कैरियर के बारे में अवगत करवाया।
इस बलिदान दिवस पर वीरबाला कालीबाई भील कोचिंग क्लासेज के स्टाफ सदस्य- रैना चरपोटा, दिलु चरपोटा ,मनीष निनामा व सूरज चरपोटा उपस्थित रहे।