श्री रोकडिया हनुमान जी मेले में देर रात तक हंसी के ठहाकों के संग कविताओं की वर्षा से भीगे श्रोता

श्री रोकडिया हनुमान जी मेले में देर रात तक हंसी के ठहाकों के संग कविताओं की वर्षा से भीगे श्रोता
प्रतापगढ़ जिले के रोकड़िया हनुमान मंदिर
मेले में चौथे दिन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजित हुआ ।काठमांडू नेपाल, दिल्ली, बिहार,मध्यप्रदेश ,राजस्थान सहित देश के कौने कौने से आये ख्यातनाम कवियों ने काव्य पाठ किया ।
देर रात तक जिला कलेक्टर शौरभ स्वामी ने काव्य रस पान किया ।
कार्यक्रम की शुरुआत जिला कलेक्टर प्रतापगढ़ के मुख्य आतिथ्य में दीप प्रज्वलन से की गई श्री हनुमान सेवा समिति के अध्यक्ष भंवर लाल व्यास एवं समिति के सदस्यों द्वारा सम्मानीय अतिथियों एवं पधारे हुए कवियों का स्वागत किया गया ।
कार्यक्रम की शुरुआत में इंदौर की कवियत्री कांठल की बेटी भुवन मोहिनी ने मां सरस्वती की वंदना से की श्रोतागणों ने तालियों के पुष्प अर्पित किए। तत्पश्चात बेटमा के कवि संजय खत्री ने हास्य व्यंग्य की बौछार से धूम मचाते हुए बेटियों पर कविता समस्याए रोज नई खड़ी हो जाती है
पैरो की पायल ही हथकड़ी हो जाती है हंसती खेलती हुई अच्छी लगती थी आंगन में पता नही क्यो बेटियां इतनी जल्दी बड़ी हो जाती हैं पढ़कर दाद बटोरी । गंगरार से आए कविश्रेष्ठ राष्ट्रीय गीतकार सोहन जी चौधरी द्वारा पन्नाधाय मेवाड़ सैनिक जैसे विषयों पर गीतों से मन मोह लिया । अररररर पन्ना काली अँधियारी रात पन्ना चाल पढते हुए आँखों के सामने बलिदानी मेवाड़ का दृश्य उत्पन्न कर दिया । बिहार से आए ग्रेट इंडियन लाफ्टर कवि शंभू शिखर ने हास्य व्यंग्य के तीरों से श्रोताओं को लोटपॉट कर दिया । और फिर अमर शहीद अल्बर्ट एक्का को समर्पित पंक्तियां होंसला समर्पित को हौसला दिलाता हौसला प्रचंड जादू टोना और सारे मंतर उड़ा दिए गोला और बारूदों में इतना साहस भरा तोड़ के पहाड़ जैसे कंकर उड़ा दिए भारती की आरती पे आँख उठी पाक की तो बाज़ुओं से तोल कर टंकर उड़ा दिए गुमला का लाल बना शत्रुओं का काल और एक एक कर सारे बंकर उड़ा दिए । करते हुए तालियों का महोत्सव खड़ा कर दिया । ठाकुर के लिए जाने जाने वाले बड़े नाम दीपक पारीख भीलवाड़ा ने हास्य व्यंग्य, गजल और छंदो द्वारा मंच लूट लिया । श्रोताओं ने दीपक पारिख को देर तक वन्स मोर के साथ सुना गया । पारिख की पंक्तियों गुजरा जो वक़्त आज बहारों के बीच मेंहमने भी कर दी शायरी यारों के बीच में रिश्ते सुधारने हो तो दीवार तोड़ दोक्यों झाँकते हो रोज दरारों के बीच में । को खूब पसंद किया गया ।
कभी अपना हिंदुस्तानी में अपने लाजवाब शेर शायरी से लोगों को हंसाते हुए संदेश दिया कभी भी ऐसी विद्रोही ने चिर परिचित अंदाज में हास्य व्यंग्य के साथ देशभक्ति कविता पढ़कर मिट्टी को नमन किया ।
दिख जाए मां के चरणों में जन्नत वो शिवाला नहीं जाता
मां की दुआओं से हो रोशनी घर से उजाला नहीं जाता
इस दुनिया मे माँ बड़ा ना कोई देवता विद्रोही यदि बेटा भूखा हो मां के मुंह निवाला नहीं जाता
:-विजय सिंह विद्रोही
हिंदुस्तान की लाडली कवियत्री भुवन मोहिनी ने संक्षिप्त नोक जोक के साथ गीतों से झूमने को मजबूर कर दिया । कवि लक्ष्मण नेपाली काठमांडू द्वारा कार्यक्रम का सफल संचालन किया गया । पता नहीं कभी लोकेश लखन ने भी मिमिक्री कला से हंसाया ।