समान नागरिक संहिता के विरोध में आदिवासी समुदाय ने उठाई अपनी आवाज

प्रतापगढ़। भील प्रदेश की परिकल्पना के अंतर्गत प्रतापगढ़ जिले में जिले भर में भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा द्वारा समान नागरिक संहिता के विरोध में सभी ब्लॉकों में ज्ञापन दिया गया।
देश भर के लगभग 500+ से अधिक आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजातियों के रूप में संविधान अनुसूचित जनजाति आदेश 1950 के तहत तथा अनुच्छेद 342 , 366(25) के तहत अधिसूचित किया गया, जिसको अधिसूचित करने की शक्ति राष्ट्रपति को है जिसको लोकुर कमेटी के माध्यम से पांच विशेषताओं की गणना से अनुसूचित जनजाति निर्धारण करने का अधिकार बना दिया गया जिसका काफी दुरुपयोग किया गया है। लोकुर कमेटी के माध्यम से अनुसूचित जनजाति होने के पांच विशेषताओं में एक विशेषता अनूठी बोली भाषा संस्कृति आदिम जनजाति गुण भी है। संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के प्रावधान पांचवी अनुसूची प्रावधान के अनुसार कोई भी कानून अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों के रीति रिवाज परंपरा, शादी विवाह, उत्तराधिकार तथा गांव की स्थापना पर हस्तक्षेप नहीं करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के समता बनाम आंध्र प्रदेश 1997 जजमेंट अनुसार
Object of 5th Schedule is to preserve tribal autonomy..
22वें लाॅ कमीशन ने एक समान नागरिक संहिता /यूनिफॉर्म सिविल कोड कोड लागू करने या ना लागू करने हेतु आपत्ति या सहमति मांगे थे, जिस पर हम देशभर के आदिवासी समुदाय को शक के साथ में डर भी है कि अन्य धर्म /जाति के पर्सनल लॉ की सिविल कोड की समानता के साथ ही हम देशभर के आदिवासी/अनुसूचित जनजातियों की कस्टमरी लॉ यानी हिंदू, मुस्लिम, ईसाई पर्सनल लॉ से विपरीत शादी उत्तराधिकार आदि के अलग कानून रीति रिवाज परंपरा के अनुसार कस्टमरी लॉ को समाप्त कर एक समान नागरिक संहिता हम पर भी लागू किया जाएगा। जो कि कतई हमें मंजूर नहीं है ज्ञापन देने में सभी ब्लॉक के भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा, भील प्रदेश युवा मोर्चा ,भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ,किसान मोर्चा के पदाधिकारी एवं गणवीर उपस्थित रहे।